परिवहन विभाग मध्यप्रदेश/मामला 230 करोड़ की अवैध वसूली का
क्या परिवहन मंत्री के बजूद को समाप्त करना चाहते हैं 
टीसी और डिप्टी टीसी प्रवर्तन ? 
मंत्री के कहने के बाद भी अधिकारी नहीं लगा रहे अवैध उगाही पर प्रतिबंध
धर्मवीर सिंह
ग्वालियर। मध्यप्रदेश परिवहन विभाग के वर्तमान हालात बदत्तर होते जा रहे हैं। विभाग में पदस्थ दो नवागत अधिकारियों टीसी डीपी गुप्ता जी और डिप्टी टीसी प्रवर्तन जोगा जी ने शायद अपने आर्थिक लाभ के चलते परिवहन मंत्री के आदेशों को मानने से परहेज कर लिया है। अभी तक इन दोनों अधिकारियों के द्वारा परिवहन मंत्री और प्रदेश मुख्यमंत्री के मत्थे ठीकरा फोड़ा जा रहा था कि ये लोग परिवहन विभाग के चैक नाकों से  महावारी 230 करोड़ की अवैध उगाही करा रहे हैं। परन्तु जब इस मामले खोजबीन की गई तो सूत्रों ने बताया कि परिवहन मंत्री उदयप्रताप राव चैकनाकांे से होने वाली इस अवैध उगाही के विरोध में हैं और इन नवागत अधिकारियांे से साफ कह चुके हैं कि किसी भी प्रकार की अवैध उगाही  चैकनाकों से नहीं होना चाहिए। एवं वहां तैनात समस्त प्राईवेट अमले को तत्काल प्रभाव से हटा दिया जावे। यह बातें उन्होंने विभागीय वीसी में समस्त चैकनाका प्रभारी एवं टीसी व डिप्टी प्रवर्तन से कहा। उसके बाद भी ये दोनों अधिकारी शायद अपने आर्थिक लाभ के चलते इस अवैध उगाही को बंद किये जाने की पक्ष में दिखाई नहीं दे रहे हैं। यही कारण माने जा सकते हैं कि चैकनाकों से उगाही के मायनों में पूर्व की तुलना में और इजाफा कर दिया गया है।
विभाग में इस प्रकार की बातें पहली बार सामने आ रही हैं कि विभागीय मंत्री की बातों को नहीं माना जा रहा है। वल्कि इन अधिकारियों के द्वारा मंत्री को नसीहत दिये जाने की सुगफुहाट सुनाई दे रही है कि यदि मंत्री जी इस अवैध उगाही को बंद कराना चाहते हैं तो लिखित आदेश पारित करें तभी हम इस प्रक्रिया पर विराम लगा सकते हैं अन्यथा जो जैसा चल रहा है चलता रहेगा। सूत्र इस मामले में जानकारी दे रहे हैं कि विभाग में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिये परिवहन मंत्री के विचारों पर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
क्या ठेके पर ले लिया विभाग? 
विभाग में यह खासा चर्चा का विषय बना हुआ है कि दोनों वरिष्ठ अधिकारी उच्च स्तरीय राजनीतिक के कृपा पात्र बनकर अपनी अपनी सीटों पर बिराजमान हुए है। डिप्टी प्रवर्तन और टीसी की सीट की नीलामी 55 करोड़ व 30 करोड़ में होना बताई गई है। कहा जा रहा है कि जब तक इन दोनों के द्वारा चार गुना कमाई नहीं कर ली जावेगी तब तक परिवहन मंत्री की किसी बात को इन लोगों द्वारा गंभीरता पूर्वक नहीं लिया जावेगा। जिसका नतीजा फिलहाल दिखाई भी दे रहा है। विभागीय इतिहास में 2024 के यह लम्हे सुनहरे अक्षरों में लिखने की तैयारी शुरू हो गई है कि इस विभाग में ऐसे भी दो अधिकारियों का आगमन हुआ था जिन्होंने विभागीय मंत्री के बजूद को समाप्त करने की पूरी कोशिश की थी। मंत्री कुछ भी कहते थे जोगा जी और गुप्ता जी उनकी एक न मानते थे।
क्या यह सत्य नहीं है।
परिवहन मंत्री मध्यप्रदेश मे होने वाले विभागीय भ्रष्टाचार पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाने एवं प्रक्रिया को गुजरात मॉडल की तरह लागू करना चाहते हैं जिसके लिये उन्होंने विभागीय अधिकारियों एवं चैकनाका प्रभारियांे को साफ तौर पर कह दिया है कि प्राईवेट लोगों को तुरंत हटाका अवैध वसूली को तत्काल  प्रभाव से बंद किया जावे। इस बात को कहे हुए मंत्री जो एक सप्ताह से ज्यादा समय होना बताया जा रहा  है। उसके बाद भी स्थिति जस की तस बनी है इसे क्या समझा जाए कि मंत्री जी दिखावे के लिये यह बातें वीसी में करते हैं। या फिर इस भ्रष्टाचारिक प्रक्रिया पर अंकुश लगाना चाह रहे हैं। या मंत्री जी इन दोनों अधिकारियों के समक्ष बौने साबित हो चुके हैं। क्यांेकि विभाग के अधिकारियों पर उनकी  पकड़ ढीली पड़ती हुई दिख रही है न तो रूटेशन नियम पूर्वक हो रहे हैं न आरटीओ में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाये जा रहा हैं और न दलाली प्रथा बंद हो पा रही है। कुल मिलाकर माना जावे तो विभागीय मंत्री जी को शायद इन अधिकारियों ने ढपली समझ लिया है जो बजती है तो बजने दो उनकी किसी भी बात को गंभीरता से नहीं लेना। परिस्थितियां गवाही दे रहीं हैं कि विभागीय बागडोर मंत्री जी के हाथ से फिसल कर कहीं और अटक गई है। अब यह समझना बाकी रह गया है कि विभागीय चौसर पर सतरंज कौन खेल रहा है। कौन है सकुनी मामा और दुर्योधन शीघ्र इन बातों का खुलासा किया जावेगा। एवं क्या अवैध उगाही से विभाग को कभी मुक्ती मिलेगी या फिर इन समस्याओं को लेकर माननीय न्यायालय की चौखट पर गुहार लगाना होगी। शेष आगे....