परिवहन विभाग मध्यप्रदेश/मामला 230 करोड़ की अवैध उगाही का
मंत्री हैं 230 करोड़ की अवैध उगाही के जिम्मेदार,
 बंगले से पूरा काम देख रहे हैं वीरेन्द्र तिवारी- उमेश जोगा

कौन है वीरेंन्द्र तिवारी जो अप्रत्यक्ष तौर पर इस उगाही की बागडोर का सौदागार बताया जा रहा है ?
Dharmveer Singh- 9009669333
ग्वालियर। टीसी की सीट पर बैठने की आशा रखने वाले वाले एडीजी साहब जोगा जी की राजनीतिक एप्रोच कमजोर पड़ गयी और गुप्ता जी टीसी बन गये। इन्हें मजबूरन डिप्टी टीसी बनना पड़ा। यह घटना विभाग के इतिहास में दर्ज की जाएगी कि एक बार दो एडीजी एक साथ विभाग में पदस्थ हुए जिसमें एक डिप्टी टीसी बने और एक को टीसी बनाया गया। एक ही रैंक के होने के कारण विभाग में शीतयुद्ध का माहौल बन गया था।
डिप्टी टीसी प्रवर्तन को लेकर कुछ दिनांे पूर्व विभाग में चर्चा रही कि 55 खोखों का चढ़ावा देकर इनको ये सीट दी गई। लेकिन जब स्वयं इस मामले पर जोगा जी ने सफाई दी कि मैंने किसी को एक पैसा भी नहीं दिया तो बात गौर लायक हुई जिस पर इनके नजदीकी सूत्रों से पड़ताल की तो पता  चला जोगा जी सही बोल रहे हैं वे चढ़ावा देकर नहीं वल्कि महिनादारी पर आये हैं यानि कि इनको मिलने वाली लगभग 5 करोड़ की हिस्सेदारी में से 70 से 80 लाख ही दिये जाएंगे जब तक कि पूरी वसूली न हो जाए। जब इनके हाथ मात्र सत्तर अस्सी पेटी ही आ रही हैं। तो इन्होंने अपने स्वभाव के अनुसार और ज्यादा वसूली के लिये लगभग सभी चौकी प्रभारियों से संपर्क किया और कहा कि मुझे इतना और चाहिए अगर नहीं दिया तो तुम्हारे खिलाफ कार्यवाही कर दूंगा। इस बात पर कई प्रभारियों ने कुछ भी देने से मना कर दिया तो कुछ लोग देने को राजी भी हो गये। किस से क्या डिमांड की गई यह भी जल्द सामने आ जाएगा। इस बात की पुष्टी इससे हो जाती है कोई पत्रकार जब इनको कुछ पूछने के लिये फोन लगाता तो इनकी ओर से जबाव आता है। कि पहले वाले डिप्टी से पूछ लो मैं नया आया हूं वो चार साल रहे हैं। कोई शिकायत है तो बताओ बार बार शिकायत मांगते हैं बस।

जोगा जी ने क्यों की मंत्री के नाम पर चिंदी चोरी ? 
जोगा जी अपने मुंह से अपनी बढ़ाई करते कई पत्रकारों को दिखाई सुनाई दिये परन्तु इनको जानने वाले विभागीय सूत्र इन्हें भला नहीं बोलते। इसका प्रमाण भी इस घटना से मिल रहा है कि डिप्टी टीसी इन्फोर्समेंट की सीट पर बैठते ही इनका लालच बढ़ गया और अपनी स्वार्थ पूर्ति का ठीकरा कभी परिवहन मंत्री तो कभी मुख्यमंत्री के सिर पर फोड़ रहे हैं।
मामला इस प्रकार है। करीब दो तीन सौ गरीब समाजिक कार्यकर्ताओं को विभाग की ओर से समय समय पर आर्थिक सहायता हेतु राशि उपलब्ध कराई जाती रही है। जोगा जी ने इस राशि को भी डकारने का मन बना लिया था। लेकिन जब यह बात मंत्रालय तक पहुंची तो इनके द्वारा उसमें आधी कटोत्री करके संबधितों को प्रदान की गई है जिसे किसी राजपूत नाम के व्यक्ति ने आंबटित की है। एवं कुछ लोगों की पूरी राशि ही डकार गये। इस कटोत्री के विषय में इनसे कोई पूछता है तो किसी से कहतें हैं परिवहन मंत्री ने खाली तो कभी मुख्यमंत्री का नाम लेते हैं।

जोगा जी ने वीरेंन्द्र तिवारी को बताया प्रमुख कर्ताधर्ता
प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में प्रकाशित खबरों की हकीकत जानने के लिये जब जब कुछ पत्रकारों के द्वारा डिप्टी टीसी प्रवर्तन से पूछा गया कि 230 करोड़ की अवैध उगाही की सच्चाई क्या है। तो इनका सीधा सा जबाव  रहता है कि इस बारे में परिवहन मंत्री से बात करें एवं उनके खास वीरेंन्द्र तिवारी से संपर्क करें कई लोगों को फोन नंबर भी उपलब्ध कराया है। ये पूरा काम वे ही देख रहे हैं। और किसी को बताते हैं कि पूरा मामला हाउस से चल रहा है वहां कोई टीसी के रिश्तेदार हैं जो इस मामले को संभाले हुए है। मुझे कुछ ज्यादा नहीं पता मैं तो रबर स्टांप हूं। मैं ईमानदार आदमी हूं मुझे नहीं रहना ऐसी सीट पर। ऐसे वाक्य बोले जाते हैं इनके द्वारा ऐसा व्यवहार आज तक किसी भी डिप्टी द्वारा नहीं किया गया। जैसा जोगा जी कर रहे हैं। 
कहानी अभी वाकी है कि और क्या क्या बताया पत्रकारों को जोश ही जोश में जोगा जी ने। कई पत्रकार इस बात के गवाह हैं जो आवश्यकतानुसार इस मामले पर परिवहन मंत्री और मुख्यमंत्री से भी चर्चा  करंेगे।

शेष आगे...