भोपाल । मध्य प्रदेश के 16 जिलों में सिकलसेल बीमारी ने पांव पसार लिए हैं। इनमें से आठ जिले रेड जोन में आ गए हैं, जिनमें दो जिले जबलपुर संभाग के हैं। आलीराजपुर व झाबुआ में पहले ही सिकलसेल के खात्मे के लिए पायलट प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है। अब 14 जिलों में हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन का विस्तार कर इसके खात्मे के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) नेशनल इंस्टीट्यूट आफ रिसर्च इन ट्राइबल हेल्थ (एनआइआरटीएच) ने जनजातीय बाहुल्य इन जिलों में सिकलसेल की रोकथाम के लिए मिशन के तहत बड़ी कार्ययोजना तैयार की है। जनसमुदाय में जागरूकता का संचार करने के साथ जांच, काउंसिलिंग व उपचार की सुविधा का विस्तार किया जा रहा है। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही स्वास्थ्य कर्मी घर-घर पहुंचकर सिकलसेल मरीजों की खोज करेंगे। डिजिटल हेल्थ रिकार्ड भी तैयार कराया जा रहा है।
यहां ज्यादा मरीज
जबलपुर, धार, बड़वानी, छिंदवाड़ा, खरगोन, बैतूल, मंडला, शहडोल, डिंडौरी, सिंगरौली, अनूपपुर, सीधी, खंडवा, उमरिया, आलीराजपुर व झाबुआ में सिकलसेल के मरीज सामने आ रहे हैं। आलीराजपुर, बैतूल, शहडोल, मंडला, छिंदवाड़ा, बड़वानी, धार व झाबुआ ज्यादा प्रभावित जिलों की श्रेणी में आ चुके हैं। इधर, आलीराजपुर व झाबुआ में सिकलसेल के सर्वाधिक 30 हजार से ज्यादा मरीज मिले हैं। हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन में जबलपुर, धार, बड़वानी, छिंदवाड़ा, खरगोन, बैतूल, मंडला, शहडोल, डिंडौरी, सिंगरौली, अनूपपुर, सीधी, खंडवा, उमरिया को शामिल किया गया है।
मिशन के अंतर्गत आसीएमआर व एनएचएम में यह साझेदारी
जनजातीय बाहुल्य 14 जिलों में हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन का विस्तार किया जाएगा। सिकलसेल रोगियों के लिए टोल फ्री हेल्प लाइन नंबर जारी किया जाएगा। प्रसव पूर्व सिकल सेल की जांच और नवजात शिशुओं में सिकल सेल का पता लगाने के लिए स्क्रीनिंग की जाएगी।
इस तरह होगा उपचार व प्रबंधन
औषधियां- मरीजों को हाइड्रोक्सीयूरिया, फोलिक एसिड, दर्द निवारक दवाएं, एंटीबायोटिक्स दी जाएंगी।
सुरक्षित रक्तादान-मरीजों को आवश्यकता पडऩे पर खून चढ़ाने में विशेष सावधानी बरती जाएगी।
टीकाकरण- थैलीसीमिया और सिकलसेल के मरीजों को हेपेटाइटिस बी का टीका लगाया जाएगा। पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों को तथा प्रत्येक पांच वर्ष में न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (पीसीवी) लगाई जाएगी।
बोन मेरो प्रत्यारोपण-मरीजों को आवश्यक होने पर बोन मेरो ट्रांसप्लांट में सहायता की जाएगी।

-जून 2021 में प्रदेश में राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की स्थापना की गई थी।
-15 नवंबर 2021 को आलीराजपुर व झाबुआ जिले में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया।
-लगभग सात प्रतिशत जनसंख्या में हीमोग्लोबिन जीन का प्रसार पाया गया।
-आइसीएमआर जबलपुर के सर्वे अनुसार आदिवासी समुदाय में सिकलसेल रोग 5 से 33 प्रतिशत तक में पाया गया।
-देश में सिकलसेल रोगियों की औसत आयु 40-45 वर्ष है।