भोपाल । मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड ने एक ऐसी योजना बनाई थी, जिसके तहत टूरिस्टों को आसरा मिल सके और जिन लोगों के पास घरों में अतिरिक्त जगह है, वो उन्हें किराए पर दे सके। सरकार की इस होम स्टे योजना में महेश्वर, उज्जैन और देवास के लोगों ने तो रुचि दिखाई, लेकिन भोपाल और इंदौर में जानकारी और प्रचार के अभाव में किसी ने अपना घर टूरिज्म को किराए पर देने के लिए आवेदन नहीं दिया। भोपाल शहर में पिछले कई समय से  कुछ ही होम स्टे ही हैं, जिनकी तादाद बढ़ नहीं पाई। हाल ही में मध्यप्रदेश टूरिज्म बोर्ड के महेश्वर, उज्जैन और देवास से कुछ आवेदन मिले हैं, जो होम स्टे योजना में शामिल होना चाहते हैं। होम स्टे के लिए संबंधित विभाग के रीजनल ऑफिस में या ऑनलाइन आवेदन करना होता है। मामले में छानबीन और निरीक्षण का अधिकार एमपी टूरिज्म बोर्ड के कार्यालय में नियुक्त होम स्टे के प्रभारी अधिकारी को या राज्य पर्यटन विकास निगम के क्षेत्रीय प्रबंधक को होता है, जो निरीक्षण के बाद कमियों में सुधार का मौका भी देते हैं। नियमों के मुताबिक, होम स्टे योजना में शामिल होने के लिए मकान मालिक का उसी जगह रहना जरूरी होता है, साथ ही इस योजना में शामिल होने के लिए कम से कम एक और अधिक से अधिक 6 कमरों के लिए आवेदन कर सकते हैं।

इसलिए शुरू हुई थी योजना
देशी-विदेशी पर्यटकों को किफायती दर पर रहने, खाना देने और अपनी संस्कृति से रूबरू करवाने के लिए मध्यप्रदेश शासन ने 2010 में 'मध्यप्रदेश राज्य बेड एवं ब्रेकफास्ट योजनाÓ नाम से इसे शुरू किया था। फिर नए सिरे से संशोधन के बाद टूरिज्म बोर्ड इसे 'होम स्टेÓ नाम से लेकर आया, जो पूरे प्रदेश में लागू की गई। नियम और शर्तें पूरी होने पर तीन साल के लिए विभाग इसका पंजीयन करता है।

भोपाल में होटल ज्यादा, इसलिए रुचि कम
टेरिज्म बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि जो आवेदन मिले हैं, वहां जल्द ही निरीक्षण किया जाएगा। भोपाल में होम स्टे को लेकर रुचि इसीलिए भी कम है, क्योंकि भोपाल में होटल की संख्या बहुत अधिक है, लेकिन जो भी होम स्टे मौजूद हैं, वो अच्छे चल रहे हैं। फिलहाल मध्यप्रदेश में भोपाल के अलावा इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, खजुराहो, मैहर, मंडला, पचमढ़ी, राणापुर और सतना में होम स्टे है।