भोपाल ।   तेज बरसात और ऊंची लहरों से क्षतिग्रस्त होने के बाद बड़े तालाब में डूबे क्रूज ‘लेक प्रिंसेस’को बाहर निकालने में आखिरकार शुक्रवार को सफलता मिल गई। इसको निकालने के लिए हैदराबाद और कोच्चि से इंजीनियरों की टीम भोपाल बुलाई गई। गुरुवार को इंजीनियरों ने इसका निरीक्षण किया है। 17 टन वजनी लेक प्रिंसेस को पानी से सुरक्षित बाहर निकालने के लिए विशाखापट्टनम से सैल्वेजिंग बैलून मंगवाए गए। इसी के सहारे शुक्रवार दोपहर बाद क्रूज को बाहर निकाल लिया गया। दोपहर 12 बजे तक एक बैलून लगाकर क्रूज के एक हिस्से को पानी से ऊपर उठाया गया। दोपहर 01 बजे तक इसके दूसरे हिस्से में भी सैल्वेजिंग बैलून लगाकर क्रूज को पानी से बाहर निकाल लिया गया। क्रूज को पानी से बाहर निकालने के बाद टीम भीतर-बाहर से इसका मुआयना कर नुकसान का आकलन करने में जुट गई है।हैदराबाद से क्रूज को निकालने आए मरीन इंजीनियर और बोट बिल्डर्स के संचालक मो. फजल ने बताया कि क्रूज के पिछले हिस्से का कांच टूटने की वजह से इसमें पानी भर गया था। वजन बढ़ने से यह बड़े तालाब में ढूब गया। हालांकि क्रूज के मुख्य उपकरण क्षतिग्रस्त नहीं हुए हैं। पानी से क्रूज को निकालने के लिए क्रेन व इस प्रकार के अन्य उपकरण की सहायता नहीं ली जा सकती है। इससे क्रूज के क्षतिग्रस्त होने का खतरा है। इसलिए इसे पानी से सुरिक्षत निकालने के लिए सैल्वेजिंग बैलून का सहारा लिया गया। पानी से निकालने के बाद सबसे पहले क्रूज के इंजन को परखा जा रहा है। यदि उसमें सुधार की जरूरत होगी तो इसकी मरम्मत की जाएगी। खराब नहीं होने की स्थिति में इसे पेट्रोल से साफ कर ओवरहालिंग करेंगे। साथ ही इंजन के बेयरिंग्स, गैस किट व अन्य क्षतिग्रस्त उपकरणों को बदला जाएगा।

पानी के अंदर स्कूबा डाइविंग कर की क्रूज की जांच

हैदराबाद और कोच्चि से आए इंजीनियरों की टीम ने गुरुवार को पानी के अंदर जाकर स्कूबा डाइविंग के जरिए क्रूज की जांच की थी। लेकिन गंदा पानी क्रूज में भरा होने की वजह से अभी स्पष्ट पता नहीं चल पाया कि क्रूज में क्या क्षतिग्रस्त हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्रूज पानी में रहता है, इसलिए इसके डूबने से ज्यादा कुछ नुकसान नहीं हुआ है। इसके इंटीरियर को जरूर नुकसान पहुंचा है। हालांकि बाहर निकालने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।

इस प्रकार काम करता है सैल्वेजिंग बैलून

पानी में डूबे किसी क्रूज, बोट, शिप और अन्य वजनी उपकरण को बाहर निकालने के लिए सैल्वेजिंग बैलून की मदद ली जाती है। इसके तहत क्रूज के निचले हिस्से में बड़े-बड़े बैलून बांधे जाते हैं। इसके बाद इनमें प्रेशर पंप से हवा भरी जाती है। इसके दबास से क्रूज पानी से ऊपर उठने लगता है। बैलून में पूरी क्षमता से हवा भरने बाद यह क्रूज को लेकर पानी से ऊपर आ जाता है। इस तकनीक का इस्तेमाल करने से क्रूज के अन्य उपकरणों के क्षतिग्रस्त होने का खतरा नहीं रहता है। यह पानी से किसी वजनी वस्तु को निकालने की सुरक्षित प्रणाली है। इसका उपयोग अधिकतर समुद्रों में डूबे हुए बड़े जहाजों को निकालने में किया जाता है।

एक सप्ताह में फिर चलने लगेगा क्रूज

बोट क्लब के मैनेजर सोहेल कादिर ने बताया कि पानी से बाहर निकालने के बाद क्रूज की सर्विसिंग की जाएगी। संभवत: एक सप्ताह में क्रूज फिर से सैलानियों को बड़े तालाब की सैर कराता नजर आएगा।

70 लाख रुपये में खरीदा गया था क्रूज

लेक प्रिंसेस को पर्यटन विभाग ने 10 साल पहले खरीदा था। इसके खरीदने में 70 लाख रुपये खर्च किए गए थे। यह क्रूज दो मंजिल का है। पहली मंजिल सामान्य श्रेणी की है, इसमें 50 लोगों के बैठने की व्यवस्था है। वहीं क्रूज के निचले हिस्से में एसी रुम है। इसमें 20 से 30 लोगों के बैठने की व्यवस्था है।