भोपाल । घपले-घोटालों के लिए कुख्यात महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का एक ऐसा कारनामा सामने आया है, जिसमें उन्होंने आंगनबाडिय़ों के लिए आई वजन करने की मशीनों को बिना उपयोग के ही खराब बता दिया और उसकी जगह दूसरी मशीनें खरीदने के प्रक्रिया शुरू कर दी है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि केंद्र सरकार को बिना बताए यह खरीदी प्रक्रिया शुरू की गई है। आर्थिक अनियमितता का यह मामला प्रकाश में आने के बाद से विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल, विभाग एक ही योजना के तहत दूसरी बार वजन तौलने की मशीनों की खरीदी कर रहा है। इस संबंध में आदेश भी जारी हो गए हैं। ये खरीदी केंद्र सरकार की वन टाइम स्कीम के तहत हो रही है। इसमें इंफेटोमीटर, स्टेडियोमीटर और वजन तौलने मशीन की खरीद की जाएगी।

4 साल बार फिर से खरीदी
विभागीय जानकारी के अनुसार महिला एवं बाल विकास विभाग वर्ष 2018 में भी प्रदेश भर की आंगनबाडिय़ों के लिए ऐसी मशीनों की खरीदारी कर चुका है। विभाग ने इस संबंध में केंद्र से लिखित अनुमति भी नहीं ली है। विभाग ने वर्ष 2018 में मप्र की 97,135 आंगनबाडिय़ों के लिए वजन व लंबाई और ऊंचाई नापने वाली करीब चार लाख मशीनें खरीदी थीं। हर एक आंगनबाड़ी के लिए 10 हजार रुपए का एक सेट खरीदा। एक सेट में चार मशीनें थी। महिला एवं बाल विकास विभाग ने उपयोग में नहीं आने और कंडम होने की जानकारी देते हुए नई मशीनों को खराब बताते हुए नए सिरे से खरीदारी के संबंध में गत 4 मई को आदेश जारी किए हैं, जो मशीनें खरीदी जा रही हैं, उनके लिए 26 करोड़ रुपए का ऑर्डर जारी किया गया है। प्रमुख सचिव अशोक शाह का कहना है कि बेवजह तूल दिया जा रहा है। इस संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए हैं, जो भी खरीदी हो रही लेना-देना नहीं है, जो नियम विरुद्ध कार्य करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

वन टाइम स्कीम को दरकिनार
जानकारी के अनुसार केंद्र की पोषण अभियान योजना के तहत वन टाइम मशीनें खरीदी जाती हैं। वर्ष 2018-19 मशीनें खरीद भी ली गईं। अब उस योजना मशीन खरीदी मामले को के तहत वजन मापने वाली मशीनें नहीं खरीदी जा सकतीं। अगर खरीदी करना भी हो तो केंद्र से लिखित अनुमति लेना जरूरी है। राज्य के महिला एवं बाल विकास विभाग ने अनुमति लेना उचित नहीं समझा है। विभाग के पीएस अशोक शाह की मौखिक सहमति है, वह मेरे स्तर पर नहीं हो का हवाला देकर मशीनों की खरीदी के आदेश जारी कर दिए हैं। रही है। सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार और मुख्यमंत्री को गुमराह कर वन टाइम स्कीम को दरकिनार कर मशीनों की खरीदी दोबारा की जा रही है। केंद्र ने वर्ष 2018 में पोषण अभियान योजना के तहत वन टाइम (केवल एक बार) शिशु और गर्भवती महिलाओं का वजन तोलने इन मशीनों की खरीदी के लिए बजट जारी किया था। इनमें 80 प्रतिशत बजट केंद्र और 20 प्रतिशत राज्य सरकार को वहन करना था। 2018-19 में ये मशीनें खरीदी भी गई थीं, लेकिन आंगनबाडिय़ां में कोरोनाकाल के चलते मर्जीनों का उपयोग नहीं हुआ।