शिमला । हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पार्टी की राज्य इकाई की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, पार्टी की ओर से उन्हें मनाने की भी कोशिश की गई है। इस बीच बुधवार को आनंद शर्मा ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। आनंद शर्मा ने साफ तौर पर कहा कि हमें पार्टी के भीतर कुछ आंतरिक परिवर्तन लाना होगा। इसके साथ ही हमें पार्टी को मजबूत करने के लिए एकजुट होना होगा। शर्मा ने कहा कि यदि हम कुछ आंतरिक परिवर्तन लाते हैं, तब कांग्रेस का नवीनीकरण और पुनरुद्धार होगा। ए ग्रुप या बी ग्रुप होने से कांग्रेस पुनर्जीवित नहीं हो सकती, कांग्रेस को सामूहिक रूप से पुनर्जीवित करना होगा।
उन्होंने साफ किया कि जहां भी जरूरत होगी मैं कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार करूंगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस को गुटबाजी से बाहर निकलकर एकजुट रहने की जरूरत है। हम सब कांग्रेसी हैं। महत्वपूर्ण यह है कि कांग्रेस पार्टी मजबूत रहे। सूत्रों के मुताबिक, समझा जा रहा है कि शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा था कि उनके स्वाभिमान के साथ ‘समझौता नहीं किया जा सकता’ और उन्होंने पार्टी की हिमाचल इकाई की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। दूसरी ओर आनंद शर्मा के इस्तीफा देने के बाद उन्हें मनाने की कोशिश कर रही है और इसी क्रम में पार्टी के प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला ने सोमवार को उनसे मुलाकात की थी।
आनंद शर्मा के इस्तीफे को लेकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस विपक्षी दल के संगठन पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि शर्मा का इस्तीफा बताता है कि कांग्रेस अंदरूनी तौर पर जर्जर हो चुकी है। सिंधिया ने कहा कि मैं भाजपा का आम कार्यकर्ता हूं और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति पर हम जितना भी कहें, वह कम होगा। यह (शर्मा का इस्तीफा) दर्शाता है कि कांग्रेस अंदरूनी तौर पर किस तरह जर्जर हो चुकी है। भाजपा की हिमाचल प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सुरेश कश्यप ने दावा किया कि कांग्रेस के कई और नेता भी पार्टी में ‘‘घुटन’’ महसूस कर रहे हैं और जल्द ही आनंद शर्मा का अनुकरण करेंगे।