भोपाल । मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग की टीम ने कल कुछ निजी स्कूलों का दौरा किया तथा वहां के बच्चों के बैग का वजन तय मानक से तीन से चार गुना तक अधिक पाया गया। टीम  ने कल साकेत नगर स्थित सागर पब्लिक स्कूल पहुंची तो प्रबंधन में हड़कंप मच गया। टीम ने स्कूल में बच्चों के बस्ते के वजन का निरीक्षण किया तो पाया कि तय मानक से तीन-चार गुना अधिक है। इसी तरह कार्मल कान्वेंट में भी पहली से पांचवीं के बच्चों के बस्ते का वजन पांच से सात किलो पाया गया। राजधानी के सीबीएसई स्कूलों के बच्चे पढ़ाई के बोझ से ज्यादा बस्ते के बढ़ते बोझ से जूझ रहे हैं। दिसंबर 2020 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी नई स्कूल बैग नीति 2020 में कहा गया है कि कक्षा 1 से 10वीं तक के विद्यार्थियों के स्कूल बैग का भार उनके शरीर के वजन के 10 फीसद से अधिक नहीं होना चाहिए। भोपाल सहित प्रदेश भर में बच्चे तय मानक से तीन से पांच गुना तक ज्यादा वजन उठा रहे हैं। गुरुवार को मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा तीन सीबीएसई स्कूलाें का किए दौरे के दौरान यह सामने आया है। आयोग ने राजधानी के साकेत नगर स्थित सागर पब्लिक स्कूल, भेल स्थित कार्मल कान्वेंट और पिपलानी स्थित सेंट थेरेसा स्कूल में तौल मशीन को लेकर बस्ते का वजन किया। इस दौरान सागर पब्लिक स्कूल में पहली एवं पांचवीं के बच्चों का बस्ते का वजन छह से आठ किलो तक पाया गया, जो कि नई स्कूल बैग नीति 2020 के अनुसार मानक से ज्यादा है। वहीं पांचवीं कक्षा तीसरी मंजिल पर लगाए जाने पर आयोग ने आपत्ति जताई कि बच्चों को सात से आठ किलो वजन का बैग लेकर सीढ़ियों पर चढ़ना पड़ता है। इससे बच्चों को परेशानी होती है। वही बसों को लेकर यातायात पुलिस की टीम के साथ दस्तावेज चेक किए गए, तो सही पाए गए। इस दौरान बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान के साथ स्कूल शिक्षा विभाग के सहायक संचालक कनक प्रसाद, जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय के प्रतिनिधि मुकेश शर्मा,जया मिश्रा, बीआरसी नागेंद्र पुंडीर, बीएससी राजीव यादव, एसआई नरेंद्र चौधरी व सुनील शाक्य सहित अन्य उपस्थित थे। इसके बाद टीम सुबह 11.30 बजे भेल स्थित कार्मल कान्वेंट स्कूल पहुंची। टीम जैसे ही दूसरी कक्षा में पहुंची तो बाहर एक बच्ची खड़ी थी। उसने बताया कि होमवर्क नहीं करने पर सजा के तौर पर उसे कक्षा से बाहर खड़ा किया गया है। वहीं प्रायमरी सेक्शन में पहली एवं पांचवी के बच्चों के बस्ते का वजन पांच से सात किलो पाया गया जो कि तय मानक से दोगुना पाया गया। बैग पालिसी के अनुसार पहली से पांचवीं के बस्ते का वजन ढाई से तीन किलो होना चाहिए। यहां पर निजी प्रकाशकों की किताबें अधिक नजर आईं। वहीं पिपलानी स्थित सेंट थेरेसा स्कूल का निरीक्षण करने टीम 12.30 बजे पहुंची। यहां पर पहली और दूसरी कक्षा के बस्ते का वजन तीन से चार किलो पाया गया। साथ ही शौचालयों में साफ-सफाई पाई गई। बाल आयोग और विभागीय अधिकारियों की टीम ने इसे गंभीरता से लेकर स्कूलों को चेतावनी दी है कि स्कूलों में बस्ते का वजन कम करने के लिए लॉकर बनाया जाए, जिससे बच्चे अपने कापी-किताब को सुरक्षित रख सकें। इस बारे में बाल आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान का कहना है कि सीबीएसई स्कूलों में जो भी कमियां पाई गई है। बस्ते का वजन तय मानक से तीन से चार गुना अधिक पाया गया। इसे लेकर शासन को रिपोर्ट सौपेंगे और कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।