हिंदू धर्म में रोजाना पूजा-पाठ करने का बड़ा महत्व है. नियमित तौर पर पूजा करने के कई फायदे हैं. लेकिन पूजा का पूरा फल, भगवान की कृपा और सकारात्मकता तभी मिलती है. जब पूजा-पाठ नियम से की जाए.

पूजा-पाठ में मंत्र जाप, पाठ आदि के साथ भोग का बड़ा महत्व होता है. यदि भोग सही तरीके से लगाया जाए तभी भगवान प्रसन्न होते हैं. अगर गलत तरिके या गलत पात्र में भगवान का भोग लगाते है. इससे पूजा अधूरी मानी जाती है. आइए उज्जैन के पंडित आंनद भारद्वाज से जानते है देवी-देवताओं के आगे भोग लगाने के नीयम.

इस मंत्र का करें जप
भगवान को भोग लगाते समय हमें इस मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए. माना जाता है कि इस मंत्र के जप से भगवान हमारे द्वारा लगाए गए भोग को जल्दी स्वीकार करते हैं. यह मंत्र है-
त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये गृहाण सम्मुखो भूत्वा प्रसीद परमेश्वर ।।

इस धातु का करें इस्तेमाल
भगवान को भोग लगाने के लिए हमेशा सोना, चांदी, तांबा या पीतल का पात्र ही चुनें. इसके अलावा मिट्टी या लकड़ी के बर्तन में भी भोग लग सकता है. भोग लगाने के लिए कभी भी एल्यूमीनियम, लोहा, स्टील या प्लास्टिक के बर्तनों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. भोग लगाने के बाद इसे कुछ देर के लिए मंदिर में ही छोड़ दें, फिर सभी में बांट दें.

भगवान का प्रिय भोग
शास्त्रों में गणेश जी, विष्णु जी, शिव जी से लेकर सभी देवी -देवताओं के भोग के बारे में विस्तार से बताया गया है. माना जाता है कि देवी-देवता को उनके अनुसार भोग लगाने से वह जल्द प्रसन्न होते हैं. लेकिन अगर ऐसा संभव नहीं है, तो आप एक ही प्रकार की मिठाई, मिश्री आदि से भोग लगा सकते हैं.

ना हो भोग का अनादर
इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भोग का किसी भी प्रकार से अनादर ना हो. कोई भोग फेंके नहीं, भोग से खेले नहीं और भोग को गंदे हाथों से ना छुए. भोग को स्वच्छ हाथों से ही भगवान को अर्पित करें और भोग का बिल्कुल उसी तरह आदर करें जिस तरह आप अपने आराध्य का करते हैं.