भोपाल। प्रदेश में जनपद एवं जिला पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के निर्वाचन की प्रक्रिया 27 जुलाई से शुरू होने जा रही है। राजनीतिक दल एवं दबंग नेता अध्यक्ष बनने के लिए ज्यादा से ज्यादा सदस्यों का समर्थन जुटाने में लगे हैं। इसके लिए सदस्यों की बाड़ेबंदी भी की गई है। सत्तारूढ़ भाजपा ने सभी जिलों में जिला पंचायत एवं जनपद पंचायतों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों के निर्वाचन से पहले पर्यवेक्षकों की तैनाती कर दी है। इसके बावजूद भी भाजपा को अपने समर्थक सदस्यों के टूटने का खतरा ज्यादा है। हालांकि ज्यादातर जिलों में चुनाव जीतने वाले सदस्य धार्मिक एवं पर्यटक स्थलों के भ्रमण पर है। आज से उनका घर लौटने का सिलसिला शुरू हो गया है। जनपद एवं जिला पंचायत चुनाव की तारीखों का ऐलान होने के साथ ही सदस्यों की बाड़ेबंदी, घुमाने ले जाने, प्रलोभन देने जैसी खबरें आना शुरू हो गईं। सदस्यों को लाखों रुपए के नगर ऑफर भी दिए जाने की खबरे आ रही हैं। ऐसे में कांग्रेस ही नहीं भाजपा को भी समर्थक सदस्यों के ऐनवक्त पर पाला बदलने का भी खतरा है। यही वजह है कि संदिग्ध सदस्यों को पार्टी नेताओं ने खुद की निगरानी में रखा है। उल्लेखनीय है कि मप्र भाजपा ने 44 जिलों में अध्यक्ष बनाने एवं 90 फीसदी जनपदों में अपने अध्यक्ष बनाने का दावा किया है।

इसलिए बदल सकते हैं पाला
जिला एवं जनपद अध्यक्षों के निर्वाचन की प्रक्रिया अप्रत्यक्ष है। इस प्रणाली में हर बार निर्वाचन के दौरान सदस्यों की खरीद-फरोख्त, अपहरण और बाड़ाबंदी े के आरोप लगते हैं। इस बार भी सदस्यों की खरीद-फरोख्त की खबरें आ रही हैं।  बेशक चुनाव पार्टी के चिन्ह पर नहीं हुए, लेकिन चुनाव जीतने के बाद पार्टी ने सदस्यों पर ठप्पा लगा दिया है। इसके बावजूद भी राजनीतिक दलों को भरोसा नहीं है। इसकी वजह है कि सदस्य अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं। क्योंकि पार्टी लाइन पर चले तो उन्हें कुछ नहीं मिलेगा, जबकि अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष बनने वाले 5 साल तक खूब माल कूटेंगे।

जनपद अध्यक्ष-उपाध्यक्षों का चुनाव
राज्य निर्वाचन आयोग ने जनपद अध्यक्ष एवं उपाध्यक्षों के निर्वाचन के लिए 27 एवं 28 जुलाई निर्धारित की है। इसके बाद 29 जुलाई को जिला पंचायत उपाध्यक्ष एवं अध्यक्षों के चुनाव होंगे।