भोपाल । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में क्षेत्रीय राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र  (क्षेत्रीय एनसीडीसी) की स्थापना की जाएगी। शनिवार को प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग के निवास स्थित कार्यालय पर क्षेत्रीय एनसीडीसी केंद्र के लिए भूमि आवंटन के सम्बंध में बैठक की गयी। इसके लिए भोपाल में 10 एकड़ भूमि चिन्हित की जा रही है। सारंग ने दावा किया कि यह एनसीडीसी का देश में पहला क्षेत्रीय केंद्र होगा।
मंत्री विश्वास सारंग ने बताया गया कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अधोसंरचना मिशन के अंतर्गत भारत सरकार के लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के साथ मिलकर मध्यप्रदेश के भोपाल में नेशनल सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (एनसीडीसी) के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना होगी। इस क्षेत्रीय केंद्र में आधुनिक स्तर की लैब होगी। जिसमें जिनोम सिक्वेंसिंग, उच्च स्तर की आरटीपीसीआर जांच, एचपीसीएल जांच की सुविधा भी होगी। एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना हेतु मध्यप्रदेश का चिकित्सा शिक्षा विभाग नोडल विभाग होगा और गांधी चिकित्सा महाविद्यालय का कम्युनिटी मेडिसिन विभाग समन्वय का कार्य करेगा। सारंग ने बताया कि केंद्र के निर्माण कार्य, उच्च कोटि के उपकरण, फर्नीचर एवं मानव संसाधन आदि के लिए 100 करोड़ रुपए का अनुमानित व्यय किया जाएगा।
प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अधोसंरचना मिशन के अंतर्गत देश के पांच राज्यों में एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना की जाना है। भारत सरकार द्वारा चिन्हित शहरों में भोपाल, गुवाहाटी, देहरादून, अहमदाबाद एवं बेंगलुरु है। जहां क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना होगी। मंत्री सारंग का दावा है कि सबसे पहले भोपाल में एनसीडीसी क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किया जाएगा।
अनुसंधान और स्थानीय स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण में मदद मिलेगी। एनसीडीसी के क्षेत्रीय केंद्र में प्रदेश में होने वाली सभी बीमारियों की रोकथाम, उपचार एवं प्रोटोकॉल को निर्धारित करने हेतु नीति तैयार की जाएगी। एपिडेमिक इंटेलिजेंस सर्विसेस की सेवाओं को इस केंद्र में प्रारंभ किया जाएगा। जिससे महामारी की प्राथमिक रोकथाम, आंकलन, पूर्व तैयारी हेतु अनुसंधान, स्थानीय स्वास्थ्य समस्याओं के निराकरण हेतु कार्य किया जाएगा।
एनसीडीसी का क्षेत्रीय केंद्र विश्व स्वास्थ्य संगठन, सीडीसी, यूनीसेफ, यूएनडीपी आदि स्वास्थ्य संबंधी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से समन्वय स्थापित करेगा और अंतर्राष्ट्रीय प्रोटोकॉल को निर्धारित करने में महती भूमिका निभाएगी। एन्टी माइक्रोबियल रेसिस्टेंस के संबंध में नीति और विजिलेंस का कार्य भी यह केंद्र करेगा।