भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग सोमनाथ में जाने सावन पूजा का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व सोमनाथ मंदिर भगवान शिव से संबंधित एक अत्यंत पवित्र स्थान है जहां सोमनाथ ज्योतिर्लिंग स्थापित है. किंवदंती है कि चंद्रमा भगवान द्वारा भगवान के मंदिर का निर्माण करने के बाद, रावण ने चांदी में एक मंदिर बनाया, और बाद में द्वापर युग में श्री कृष्ण ने सोमनाथ में लकड़ी का एक मंदिर बनाया था.ऐसा माना जाता है कि पहला सोमनाथ मंदिर वैवस्वत मन्वन्तर के दसवें त्रेता युग के दौरान बनाया गया था और इसकी गणना लगभग 7,99,25,105 साल पहले की है.

सोमनाथ मंदिर के इतिहास में लिखे गए फारसी और अरबी यात्रियों के लेखन भी महत्वपूर्ण रहे हैं जो इसकी महता को स्पष्ट रुप से दर्शाते हैं सोमनाथ भारत का एक प्रसिद्ध शहर है, जो ज्योतिर्लिंग के कारण विशेष महत्व रखता है. इसे हिंदुओं द्वारा बहुत श्रद्धा के साथ पूजा जाता रहा है और जिसने भी इसे देखा, वह विस्मित हुए बिना नही रह पाया है. जब भी चन्द्र ग्रहण होता, हिन्दू तीर्थयात्रा यहां पर जाते रहते हैं भक्तों का मानना है कि यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. समुद्र में ज्वार के उतार और चढ़ाव को समुद्र द्वारा शिवलिंग को दी जाने वाली पूजा माना जाता रहा है.

पौराणिक महत्व : चंद्र देव ने किया इसका निर्माण
मंदिर का संदर्भ हिंदुओं के सबसे प्राचीन ग्रंथों जैसे श्रीमद भागवत, स्कंदपुराण, शिवपुराण और ऋग्वेद में मिलता है. जो इस मंदिर के महत्व को भारत में सबसे लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक के रूप में दर्शाता है. इतिहास के विद्वानों के अनुसार, सोमनाथ स्थल प्राचीन काल से एक तीर्थ स्थल रहा है क्योंकि इसे तीन नदियों का संगम स्थल कहा जाता था. संगम को त्रिवेणी संगम कहा जाता था. माना जाता है कि यह वह स्थान है जहां चंद्रमा देवता सोम ने स्नान किया और अपनी रोशनी पुन: प्राप्त कर ली थी. किंवदंती है कि मंदिर की प्रारंभिक निर्माण रचना सबसे पहले चंद्रमा द्वारा बनाई गई थी जिन्होंने मंदिर का निर्माण सोने के साथ किया था. सूर्य भगवान ने इसके निर्माण के लिए चांदी का इस्तेमाल किया था, जबकि भगवान कृष्ण ने इसे चंदन की मदद से बनाया था.

सोमनाथ मंदिर का ज्योतिष महत्व
सोमनाथ नाम का अर्थ है 'चंद्रमा का रक्षक' और माना जाता है कि इसे स्वयं चंद्रमा अर्थात सोम ने बनाया था. उन्होंने इस स्थल पर एक शिवलिंग का निर्माण किया और भगवान शिव से स्वयं को उस स्थान पर प्रकट होने की प्रार्थना की. कहा जाता है कि शिव ने उनकी प्राथना स्वीकार करके उन्हें श्राप से मुक्त किया था. ज्योतिष अनुसार जन्म कुंडली में मौजूद चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से बचने हेतु सोमनाथ ज्योतिर्लिंग पूजा अत्यंत शुभदायक होती है. इस पूजा द्वारा चंद्र दोष समाप्त होते हैं और मानसिक रोगों से मुक्ति प्राप्त होती है.

सोमनाथ मंदिर से संबंधित त्यौहार
कार्तिक पूर्णिमा अथवा प्रत्येक माह की पूर्णिमा को यहां बहुत धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस अवसर को मनाने के लिए यहां बड़े मेले का आयोजन किया जाता है. इसके साथ ही महा शिवरात्रि और होली मनाने के लिए फरवरी और मार्च में विशाल उत्सव आयोजित किए जाते हैं. ये शुभ हिंदू धार्मिक त्योहार पूरे देश में बहुत महत्व रखते हैं और बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं. सावन माह के दौरान यहां अत्यधि संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. अक्टूबर-नवंबर में नवरात्रि और दिवाली के समय पर भी यहां बड़े जुलूस, उत्सव होते संपन्न होते हैं.