जम्मू । देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कारगिल विजय दिवस पर जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम की ओर से जम्मू आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गुलाम जम्मू-कश्मीर पर पाकिस्तान का अनधिकृत कब्जा, वह भारत का था, है और रहेगा। साथ ही उन्होंने कहा कि आज हमारा देश आत्मनिर्भरता के मजबूत संकल्प के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहले रक्षा उपकरणों पर हम दूसरे देशों पर निर्भर होते थे। आज हालात बदल गए हैं। मोदी सरकार की आत्मनिर्भरता के संकल्प के बूते आज भारत दुनिया के शीर्ष 25 रक्षा उपकरणों के निर्यातक देशों में शामिल हो गया। 13 हजार करोड़ का निर्यात किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने 35 से 40 हजार करोड़ का निर्यात करने का लक्ष्य जल्द ही हासिल करेगा। यह सब मेक इन इंडिया से संभव हो रहा है।
आज भारत दुनिया के ताकतवर देशों में शामिल है। कभी भारत की बात को दुनिया हलके में लेती थी, लेकिन आज जब भारत कोई बात कहता है, तो पूरी दुनिया कान खोल कर सुनती है। राजनाथ सिंह ने यह भी दोहराया कि गुलाम जम्मू कश्मीर पर पाकिस्तान का अनधिकृत कब्जा है। वह भारत का था, है और रहेगा।
भारत की संसद में पाकिस्तान अधिकृत जम्मू कश्मीर को मुक्त कराने का एक सर्वसम्मत प्रस्ताव भी पारित है। शिव के स्वरूप बाबा अमरनाथ हमारे पास हैं, पर शक्ति स्वरूपा शारदा जी का धाम अभी एलओसी के उस पार ही है। जनभावनाओं को देखते हुए उन्होंने कहा कि आपकी मुराद आज नहीं तो कल पूरी जरूर होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अलट बिहारी वाजपेयी जी करते थे, दो स्त बदले जा सकते हैं, पड़ोसी नहीं। हम आज पड़ोसी से बेहतर संबंध की कोशिश करते हैं, लेकिन भरगवान पाकिस्तान को सदबुद्धि दें।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आजादी से पूर्व के बलिदानियों से लेकर अब तक के बलिदानियों की गाथा को संक्षेप में याद किया और कहा कि यह दिन बेशक विजय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है, लेकिन हम सिर्फ कारगिल के बलिदानियों को याद नहीं कर रहे, बल्कि देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वालों को नमन करना चाहते हैं। सिंह ने बलिदानियों, उनके परिवार और हर युद्ध में सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ देने वाले नागरिकों और पोर्टरों की बहादुरी और उनके राष्ट्रीय स्वाभिमान की भावना को भी सादर नमन किया।
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत को पांच युद्ध लड़ने पड़े हैं, जिनमें 1948 का हमला, 1962 का चीन के साथ युद्ध, उसके बाद 1965 और 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध और सबसे आखिर में 1999 में हुआ कारगिल युद्ध हुआ जो कि एक पूर्ण युद्ध नहीं, पाकिस्तान ने साथ लड़ा गया एक सीमित युद्ध था। इन पांचों युद्धों में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का यह पूरा इलाका मुख्य युद्ध स्थल रहा है। आजादी के बाद से ही, इस पूरे इलाके पर देश के दुश्मनों की गिद्ध दृष्टि लगी रही है, मगर भारतीय सेनाओं ने अद्भुत पराक्रम और बलिदान का परिचय देते हुए हर बार दुश्मनों के मंसूबों को नाकाम किया है।
राजनाथ सिंह ने 1948 में जम्मू कश्मीर पर हुए कबायली हमलों के हीरो रहे ब्रिगेडियर उस्मान के साहस और पराक्रम को याद किया। उन्होंने कहा कि जब कबालियों ने राजौरी जिले में एलओसी के पास पड़ने वाले झंगड़ को कब्जे में ले लिया था तो ब्रिगेडियर उस्मान ने संकल्प लिया था कि जब तक झंगड़ में तिरंगा नहीं लहराएंगे, तब तक वह पलंग पर नहीं सोएंगे। आखिरी सांस तक उन्होंने दुश्मन का मुकाबला किया और उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। उनकी तुलना राजनाथ सिंह ने महाराणा प्रताप से की।