मुंबई । महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने कहा है कि वह सदन में हंगामे के बीच विधेयकों को पारित नहीं होने देने वाले हैं। क्योंकि इसका मतलब जनता के जनादेश के साथ विश्वासघात होगा। नार्वेकर ने शिवसेना में कटु विभाजन के बावजूद राज्य विधानसभा के सुचारू कामकाज को लेकर विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने दलील दी कि अन्य राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र सदन में व्यवधान ‘‘हल्के’ हैं। यह पूछने पर कि क्या शिवसेना में बगावत का 25 जुलाई से शुरू हो रहे राज्य विधानसभा सत्र पर कोई असर पड़ेगा, इस पर दक्षिण मुंबई के कोलाबा से पहली बार भाजपा के विधायक बने नार्वेकर ने कहा, मुझे ऐसा नहीं लगता है। नार्वेकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा बुलाई गई राज्य विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली में थे। उन्होंने कहा, ‘‘विधानसभा के हालिया सत्र में लगभग नौ घंटे तक बहस हुई। व्यवधानों में बहुत कम समय बर्बाद हुआ।
मुझे सदन के सभी नेताओं और विधायकों का सहयोग मिला। आगामी सत्र में भी सदस्य विधानसभा के नियमों और प्रक्रियाओं के अनुसार मुद्दों को उठा सकते हैं। शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे के भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद नार्वेकर को महाराष्ट्र विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया था। पिछले साल फरवरी में नाना पटोले के इस्तीफे के बाद से अध्यक्ष का पद खाली था। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता और विधानसभा के उपाध्यक्ष नरहरि जिरवाल अंतरिम अवधि में सदन के अध्यक्ष के रूप में कार्य कर रहे थे। 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद राकांपा और कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बने उद्धव ठाकरे को 29 जून को शिवसेना में विद्रोह के बाद पद से इस्तीफा देना पड़ा था। ठाकरे के नेतृत्व वाले धड़े ने बगावत में शामिल शिंदे के नेतृत्व वाले गुट के 39 में से 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने का अनुरोध करते हुए अध्यक्ष को नोटिस दिया था।
शिवसेना के 39 विधायकों के अलावा, छोटे संगठनों के 10 विधायकों और निर्दलीय विधायकों ने भी शिंदे के नेतृत्व वाले गुट का समर्थन किया था, इसके बाद ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार को सत्ता से हटना पड़ा। नार्वेकर ने कहा, विधायकों की अयोग्यता का मुद्दा विधानसभा अध्यक्ष के कार्यालय में लंबित है। इस पर संविधान के प्रावधानों के तहत फैसला लिया जाएगा। इसका सदन की कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’’ अध्यक्ष के रूप में उनकी सर्वोच्च प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर नार्वेकर ने कहा कि वह सदन में हंगामे के बीच विधेयकों को पारित नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता उचित चर्चा और बहस के बाद विधेयकों को पारित करना सुनिश्चित करना होगा। हंगामे में विधेयक पारित करना जनादेश के साथ विश्वासघात होगा। मैं बिना किसी चर्चा के विधेयकों को पारित नहीं होने दूंगा।