वाशिंगटन  । ताजा अध्ययन में एक और बड़े ओजोन छिद्र का खुलासा हुआ है। यह ओजोन होल अंटार्कटिका के छिद्र की तरह मौसमी नहीं है। यह छिद्र सभी मौसम में बनना रहता है और दक्षिणी ध्रुव पर बनने वाले छिद्र से सात गुना बड़ा है। यह खोज एक बड़ी चेतावनी के तौर पर देखी जा रही है। अध्ययन में कनाडा को ओन्टारियो की वाटरलू यूनिवर्सिटी के वैज्ञानक किंग-बिन लू ने इस हर मौसम में कायम रहने वाले ओजोन छिद्र का खुलासा किया है। अजीब बात यह है कि हाल ही में खोजा गया यह ओजोन छिद्र पिछले 50 सालों से कायम है। ओजोन छिद्र की परिभाषा के मुताबिक वह क्षेत्र जहां ओजोन की हानि अछूते वायुमडंल की तुलना में 25 प्रतिशत हो जाए तो उसे ओजोन छिद्र माना जाता है।यह निचले समतापमंडल  में कटिबंधीय इलाके में हैं जिसकी गहराई की तुलना वसंतकालीन अंटार्कटिका के ओजोन छिद्र से की जा सकती है। लेकिन यह छिद्र उस छिद्र से करीब सात गुना ज्यादा क्षेत्र में फैला है।
 लू का कहना है कि कटिबंधीय क्षेत्र इस ग्रह की सतह का आधा हिस्सा घेरता है और यह दुनिया की आधी आबादी का घर है। इसलिए कटिबंधीय ओजोन छिद्र बड़ी वैश्विक चिंता का कारण बन सकता है। जिससे बहुत ही व्यापक स्तर पर नुकसान झेलने की नौबत आ जाएगी।ओजोन परत का क्षरण सबसे पहले जमीन पर पराबैंगनी विकिरणों के पहुंचने का सीधा कारण बन जाता है जिससे इंसानों में त्वचा कैंसर, आंखों में कैटेरैक्ट, कमजोर प्रतिरोध क्षमता, कृषि उत्पादन में कमी और यहां तक कि पारिस्थितिकी तंत्र और संवेदनशील समुद्री जीवों पर बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लू का यह अवलोकन वैज्ञानिक जगत में उनके साथियों तक के लिए एक चौंकाने वाली खोज दिखाई पड़ रही है क्योंकि इसका अनुमान परंपरागत फोटोकैमिकल प्रतिमान नहीं लगा पाए थे।लू के अवलोकन के आकंडो कॉस्मिक विकिरण से प्रेरिरित इलेक्ट्रॉन प्रतिक्रिया प्रतिमान से मेल खाते हैं और मजबूती से इशारा करता है कि अंटार्कटिक और कटिबंधीय ओजोन छिद्र की भौतिक कार्य प्रणाली समान है। ध्रुवीय ओजोन छिद्र की तरहल ही कटिबंधीय ओजोन छिद्र के केंद्र में सामान्य ओजोन का 80 प्रतिशत हिस्सा गायब हो चुका है।
प्राथमिक रिपोर्ट दर्शाती हैं कि भूमध्य इलाकों के ऊपर के गायब ओजोन स्तर पहले ही विशाल जनसंख्या के लिए खतरा बन चुके हैं। और उससे संबंधित पराबैंगनी विकिरण उम्मीद से कहीं ज्यादा इलाकों में पहुंच रहा है।1970 के दशक के मध्य में हुई वायुमडंलीय शोध ने सुझाया कि सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करने वाली ओजोन परत औद्योगिक रसायनों के कारण खत्म हो रही है। इसमें प्रमुख रसायन क्लोफोरोकार्बन को माना गया। इसके बाद 1985 में अंटार्कटिका के ऊपर एक ओजोन छिद्र की पुष्टि हुई और उसके साथ सीएससी के कारण की भी। तब इन रसायनों पर प्रतिबंध ने ओजोन छिद्र को कम करने की गति को कम किया, लेकिन प्रमाण बताते हैं ओजोन परत का क्षरण जारी ही रहा।लू का कहना है कि कटिबंधीय और ध्रुवीय ओजोन छिद्र समतापमंडल में ठंडक और परत के तापमान को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। आगे के गहन शोध वैश्विक जलवायु परिवर्तन को समझने के लिए संवेदनशील भूमिका निभाएंगे।