भोपाल । पिछले महीने राजधानी में परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक के ठिकानों पर पड़े छापों के बाद लोकायुक्त की कार्यप्रणाली चर्चा में है। छापों के बाद पुलिस मुख्यालय ने लोकायुक्त के साथ-साथ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में पदस्थ आरक्षक से लेकर निरीक्षक और कुछ उप पुलिस अधीक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा है। अब दोनों एजेसियोंं से पुलिस अधीक्षक एवं अन्य अधिकारियों को बदलने की तैयारी है। जिसमें ज्यादातर मैदानी अधिकारी प्रभावित हो सकते हंै।
मंत्रालय सूत्रों के अनुसार हाल ही में पुलिस मुख्यालय और शासन के बीच दोनों एजेंसियों की कार्यप्रणाली को और ज्यादा पारदर्शी करने पर चर्चा हुई है। हाल ही में दोनों एजेंसियों से आरक्षक से लेकर निरीक्षकों को पुलिस मुख्यालय वापस बुलाया जाना इसी रणनीति का हिस्सा है। बताया गया कि लंबे समय से जमे मैदानी अधिकारियों का हटना तय है। कुछ ऐसे अधिकारियों को नाम भी हैं, जो एक एजेंसी से दूसरे एजेंसी में पहुंचे हैं। इनको भी बाहर किया जा सकता है। 3 साल की सेवा अवधि के आधार पर लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के मैदानी अधिकारियों की जमावट की तैयारी हो रही है। पदस्थापना आदेश पुलिस विभाग के अधिकारियों के साथ ही जारी होंगे। संभवत: यह बदलाव इसी महीने होने की संभावना है।


7 संभाग मुख्यालयों पर हैं इकाई
लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की प्रदेश के 7 संभागीय मुृख्यालयों पर अलग-अलग यूनिट हैं। जिनमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, उज्जैन और सागर शामिल हैं। लोकायुक्त के भोपाल इकाई के अधिकारी भी प्रभावित हो सकते हैं। मुख्यालय स्तर के कुछ अधिकारियों को भी बदला जा सकता है।