भोपाल । केंद्र से मिलने वाली राशि को अभी तक राज्य अपनी आवश्यकता अनुसार खर्च किया करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि केंद्र सरकार ने राज्यों को दी जाने वाली फंडिंग का मॉनिटरिंग सिस्टम बदल दिया है।  इसकी वजह यह है कि जो भी राशि खर्च होगी, उसकी अपडेट जानकारी पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम (पीएफएमएस) में होगी। यानी इस साल मध्यप्रदेश को केंद्र से मिलने वाले 1 लाख 8 हजार 700 करोड़ रुपए के खर्च की पाई-पाई की जानकारी केंद्र के पास होगी।
दरअसल यह राशि केंद्र से शेयर इन सेंट्रल टैक्स, केंद्रीय योजनाओं में सहायता अनुदान, योजनाओं में मिलने वाली राशि के रूप में मिलेगी। यह राशि शिक्षा, स्वास्थ्य, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा संचालित की जा रही पेयजल योजनाओं, राजस्व, वन एवं ऊर्जा क्षेत्र में उपयोग होगी। अब तक राज्य सरकार केंद्र से मिली राशि का मनमाने तरीके से उपयोग करती थी और उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र अपने हिसाब से तैयार कर योजना की दूसरी किस्त भी ले लेती थी। इसका नतीजा यह होता था कि केंद्र कई मामलों में राज्य को दी जाने वाली राशि रोक लेता था, जिसका असर प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर पढ़ता था ।
जानकारी के अनुसार केंद्र से मिलने वाली राशि को राज्य मनमाने तरीके से खर्च करते थे और समय पर हिसाब नहीं भेजते थे। मप्र की बात करें तो राज्य सरकार की ओर से पिछले तीन वित्तीय वर्षों में खर्च हुई राशि का यूटिलिटी सर्टिफिकेट केंद्र को नहीं दिया जा सका है, जिससे अगली किस्त नहीं मिल पा रही है। सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) में प्रधानमंत्री आवास योजना, गैस सिलेंडर सब्सिडी, मनरेगा के तहत मिलने वाली राशि, बुजुर्गों को दी जाने वाली पेंशन राशि, कर्जमाफी जैसी जानकारियां रहेंगी। साथ ही भारत सरकार की योजनाओं के तहत जारी राशि को ट्रैक किया जा सकेगा और सभी स्तरों पर खर्च की वास्तविक मॉनिटरिंग हो सकेगी। इसमें खासतौर पर देखा जाएगा कि किसी योजना में 10 करोड़ रुपए की राशि जारी हुई है। तो वह पूरी खर्च हुई या नहीं। अभी कई बार ऐसा होता है कि संबंधित योजना में 5 करोड़ रुपए खर्च कर उसका उपयोगिता प्रमाण-पत्र दे दिया जाता था और बाकी राशि अन्य योजना में उपयोग में ले ली जाती थी। लेकिन अब अधूरा उपयोगिता प्रमाण-पत्र देने पर फंडिंग रोक दी जाएगी।
अब  हर उपयोजना के लिए अलग-अलग एसएनए तैयार किया जाएगा, जो संबंधित योजना के नोडल अधिकारी के रूप में काम करेगा। इसके अलावा जिस बैंक में एनएसए खोला जाएगा उसी बैंक में काम करने वाली एजेंसी को भी खाता खोलना होगा। यह बैंक वह होंगे जो केन्द्र के साथ ही वित्त विभाग की शर्तों पर खरा उतरते हों।  इसमे विशेष यह है कि यह काम करने वाली एजेंसी का खाता जीरो बैलेंस पर खुलेगा। इसकी खासियत यह रहेगी की नोडल अफसर को उसमें जमा राशि पता नहीं चलेगी, लेकिन बिल लगने पर उस राशि का भुगतान हो जाएगा। जिसके तहत अब एक नोडल एजेंसी बनाई जाएगी। जिसका अलग से बैंक खाता खोलना होगा। जिसका पंजीयन पीएफएमएस में किया जाएगा। इसके बाद केन्द्र व राज्य का योजना को लेकर तय अंश एसएनए के खाते में जमा किया जाएगा।