भोपाल । नगरीय निकाय चुनाव में जोरदार एंट्री के बाद आप और एआईएमआईएम ने संकेत दे दिया है कि विधानसभा चुनाव में भी ये पार्टियों भाजपा और कांग्रेस का गणित बिगाड़ेंगी। दोनों पार्टियों ने पहले चरण की मतगणना में भाजपा-कांग्रेस के सियासी गणित बिगाड़ दिए, जीत के अंतर पर भी असर डाला। पहली बार में ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी आप का एक मेयर बना, तो 17 पार्षद भी जीते। ग्वालियर में मेयर प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहीं।
एआईएमआईएम के 4 पार्षद जीते, तो 8 दूसरे नंबर पर रहे। अब दोनों पार्टियों की नजर 2023 के विधानसभा चुनाव पर है। बुरहानपुर, ग्वालियर, उज्जैन में सियासी दांवों में उलटफेर देखने को मिला। तीनों परिणामों ने साफ कर दिया कि मैदान में आप और ओवैसी की पार्टी नहीं उतरी होतीं तो नतीजे बदल भी सकते थे।
आप और एआईएमआईएम की जोरदार एंट्री का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बुरहानपुर, उज्जैन और ग्वालियर के महापौर की जीत-हार में इन दोनों पार्टियां का बड़ा खेल रहा है। बुरहानपुर में भाजपा-कांग्रेस के बीच 542 मतों का अंतर था, जबकि ओवैसी की पार्टी को यहां 10 हजार 322 वोट मिले। उज्जैन में भाजपा 736 मतों से जीती। यहां आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी संतोष वर्मा को 9300 वोट मिले। ग्वालियर में कांग्रेस की शोभा सिंह ने 28 हजार 805 वोटों से जीत दर्जकर 52 साल का सूखा समाप्त किया है। यहां आप प्रत्याशी रुचि गुप्ता तीसरे स्थान पर रहीं। उन्हें 45 हजार 762 मत मिले हैं।
आम आदमी पार्टी को दिल्ली, पंजाब, गुजरात के बाद मध्यप्रदेश में बड़ी उम्मीद दिखने लगी है। पार्टी ने निकाय चुनाव के बहाने पूरे प्रदेश में अपने पार्षद और मेयर प्रत्याशी उतारे। पर दिल्ली के सीएम और पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल प्रदेश में प्रचार करने सिर्फ सिंगरौली पहुंचे थे। यहां की जनता ने भी उन्हें निराश नहीं किया। आप की पहली महापौर बनकर रानी अग्रवाल ने इतिहास रच दिया। यहां से पार्टी के 5 पार्षद भी जीते हैं। वहीं 7 पार्षद दूसरे स्थान पर रहे। प्रदेश की बात करें तो नौ जिलों में पार्टी ने खाता खोला है। उसके 17 पार्षद जीते हैं। वहीं 18 जिलों की 35 पार्षद सीटों पर वह दूसरे स्थान पर है।