नई दिल्ली । राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण की पूरी टीम 14 से 18 जून, 2022 के बीच प्राचीन स्मारकों विशेषकर अरुणाचल प्रदेश के तिब्बत-चीन क्षेत्र की सीमा के नजदीक स्थित स्मारकों का दौरा करेगी। इसके अलावा यह टीम स्थानीय जनजातीय नेताओं से भी मुलाकात करेगी और उन प्राचीन देशीय आस्था के स्थलों का पता लगाएगी, जो किंवदंतियों व मौखिक इतिहास के माध्यम से अरुणाचल प्रदेश को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ती हैं। प्राधिकरण की इस टीम में अध्यक्ष तरुण विजय के अलावा दो सदस्य हेमराज कामदारंद और प्रोफेसर कैलाश राव शामिल होंगे। तरुण विजय ने कहा कि इसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है, जिन्होंनेरुक्मणी की सांस्कृतिक विरासत को रोमांचक और ज्ञानवर्धक तरीके से मजबूत करने के लिएअरुणाचल प्रदेश से गुजरात के पोरबंदर की वार्षिक यात्रा की शुरुआत की थी।उन्होंने कहा कि विरासत के संरक्षण और नए स्मारकों को राष्ट्रीय पुरातात्विक स्थलों की केंद्रीय संरक्षित सूची में शामिल करने के मामले में अरुणाचल प्रदेश पीछे रह गया है।स्थानीय धार्मिक मान्यताएं और उनके स्मारकों, मूर्त व अमूर्त विरासत उन्हें गुजरात के पश्चिमी तट और भारत के अन्य हिस्सों से जोड़ती हैं, जोअपेक्षाकृत अज्ञात हैं और जिन्हेंमान्यता नहीं मिली हैं। एनएमए की टीम गांव के वृद्धजनों और विभिन्न जनजातियों के नेताओं से मुलाकात करेगी।इन लोगोंमेंहर एक के पास भारत की मुख्य भूमि के साथ प्राचीन स्मारकों के जरिए धर्म और सांस्कृतिक जुड़ाव के बारे में आकर्षक कहानियां हैं।