भोपाल । श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नामपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार नागपंचमी 2 अगस्त को मंगलवार के दिन शिव योग की साक्षी में आएगी। शाम को रवि योग का संयोग भी रहेगा। धर्मशास्त्र की मान्यता अनुसार इस दिन नागदेवता के पूजन का विधान है।
रवियोग को दिव्य योगों की श्रेणी में रखा गया है। ऐसी मान्यता है कि इस योग में बाधाओं के निवारण के लिए संकल्प लेकर विशेष अनुष्ठान किया जा सकता है। नागपंचमी पर नाग देवता की कृपा प्राप्त करने के लिए मनसा देवी नाग स्तोत्र का पाठ तथा नाग देवता की मूर्ति का पंचामृत अभिषेक करने से संकल्प की सिद्धि होती है।
कालसर्प दोष निवारण के लिए खास दिन
जन्म पत्रिका में मौजूद कालसर्प दोष निवारण के लिए नागपंचमी कालसर्प पूजन कराना बेहद खास माना गया है। इस दिन कालसर्प पूजा कराने से शीघ्र फल प्राप्त होता है। धर्मशास्त्र के अनुसार देखें तो भारत में जितने भी तीर्थ हैं, उस सभी तीर्थों पर प्रतिदिन अनुष्ठान होते रहते हैं। श्रुति धर्म भी इसके पालन की मान्यता व आदेश देता है। नागपंचमी के अलावा प्रत्येक माह में आने वाली कृष्ण पक्ष व शुक्ल पक्ष की दोनों पंचमी पर कालसर्प पूजा कराई जा सकती है।