भोपाल। नेता प्रतिपक्ष डा. गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि प्रदेश में पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव होने के बाद विधानसभा का मानसून सत्र बुलाया जाएगा। यह कम से कम बीस दिन का होगा ताकि जनसमस्या और ज्वलंत मुद्दों पर विस्तृत चर्चा सदन में हो सके। यह मांग नेता प्रतिपक्ष डा. सिंह ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर की है। उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र की बैठकें लगातार कम होती जा रही हैं। इससे जनहित के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा नहीं हो पाती है। जबकि, लगातार यह सिफारिश की जा रही है कि प्रतिवर्ष 60 से 70 बैठकें होनी चाहिए। मध्य प्रदेश में इसका पालन नहीं हो रहा है। सरकार की यह मानसिकता हो गई कि सत्र केवल सरकारी कामकाज निपटाने के लिए बुलाया जाए। विधानसभा के पटल पर रखे गए प्रतिवेदनों पर कई वर्षों से चर्चा नहीं कराई गई है। न्यायिक जांच आयोगों की रिपोर्ट अभी तक पटल नहीं आई हैं। सत्र बुलाने के लिए अब विपक्ष से चर्चा तक नहीं की जा रही है, यह चिंता का विषय है क्योंकि यह मान्य परपंरा रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि विधानसभा का मानसून पंचायत और निकाय चुनाव होने के बाद बुलाया जाए और इसमें बैठक भी अधिक हो ताकि सभी मुद्दों पर चर्चा हो सके। उधर चुनाव आयोग ने कहा है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के स्वीकृत प्रकरणों पर किसी प्रकार की कोई रोक चुनाव आचार संहिता की कारण नहीं लगाई गई है। नए हितग्राहियों का चयन जरूर आचार संहिता प्रभावी रहने तक नहीं किया जा सकेगा। राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास को स्थिति स्पष्ट कर दी है। दरअसल, विभाग ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में जिन हितग्राहियों का चयन हो गया है, उन्हें स्वीकृति और पहली किस्त जारी करने के संबंध में मार्गदर्शन मांगा था। बता दें कि 18 जुलाई तक आदर्श चुनाव आचार संहिता प्रभावी है।