नई दिल्ली । केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में भारतीय जनता पार्टी नेता और कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया, क्योंकि उनकी राज्यसभा की सदस्यता गुरुवार को खत्म हो रही है। मोदी सरकार में मुख्तार अब्बास नकवी एकलौते मुस्लिम मंत्री थे, जिनके इस्तीफे के बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय का प्रभार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को सौंप दिया है। नकवी के रिजाइन के साथ ही आठ साल में पहली बार मोदी कैबिनेट 'मुस्लिम मुक्त' हो गई है। बीजेपी के सियासी इतिहास में पहली बार होगा जब कोई मुस्लिम मंत्री नहीं होगा। जबकि इससे पहले अटल बिहारी बाजपेयी से लेकर मोदी सरकार तक में मुस्लिम मंत्री रहे हैं। यह पहली बार है जब न कोई कैबिनेट में मुस्लिम होगा और न ही बीजेपी से कोई मुस्लिम सांसद। लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर बीजेपी के कुल 395 सांसद हैं, जिसमें एक भी मुस्लिम नहीं है।  साल 2014 में नरेंद्र मोदी के अगुवाई में बीजेपी की सरकार बनी तो मुस्लिम चेहरे के तौर पर नजमा हेपतुल्ला को केंद्रीय मंत्री बनाकर कैबिनेट में शामिल किया गया था। नवंबर, 2014 में मोदी कैबिनेट का पहला विस्तार हुआ तो मुख्तार अब्बास नकवी अल्पसंख्यक मामलों और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री बने। 12 जुलाई 2016 को नजमा हेपतुल्ला के इस्तीफे के बाद उन्हें अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभार मिला। नजमा हेपतुल्ला राज्यपाल हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद 30 मई 2019 को मुख्तार अब्बास नकवी मोदी कैबिनेट में फिर शामिल हुए। इस बार भी उन्हें अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय सौंपा गया। 2016 को नजमा हेपतुल्ला के इस्तीफे के बाद मुख्तार अब्बास नकवी का प्रमोशन हुआ, लेकिन इसी के साथ मोदी कैबिनेट में मुस्लिम चेहरे के तौर पर एमजे अकबर की एंट्री हुई। पत्रकारिता से सियासत में आए एमजे अकबर मोदी सरकार में विदेश राज्य मंत्री बने। इस तरह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में दो मुस्लिम नेताओं को कैबिनेट में जगह मिली थी। लेकिन, साल 2018 में एमजे अकबर का नाम मीटू में आने के बाद बीजेपी पर दबाव बढ़ा तो मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। एमजे अकबर का राज्यसभा कार्यकाल पिछले महीने ही खत्म हुआ है।
बता दें कि जनसंघ के दौर से लेकर जनता पार्टी और बीजेपी से मुस्लिम सांसद और मंत्री बनते रहे हैं। सिकंदर बख्त जनसंघ के दौर से बीजेपी के साथ जुड़े हुए थे और लोकसभा से लेकर राज्यसभा तक में रहे। आपातकाल के बाद बनी जनता पार्टी की सरकार से लेकर नब्बे के दशक में बाजपेयी सरकार तक में फिरोज बख्त केंद्रीय मंत्री रहे। फिरोज बख्त की तरह आरिफ बेग ने भी अपना सियासी सफर जनसंघ से शुरू किया और बीजेपी तक में रहे। विधायक से लेकर लोकसभा और राज्यसभा सदस्य चुने गए थे। नब्बे के दशक में बीजेपी में कई मुस्लिम चेहरे उभरे, जिनमें मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन प्रमुख थे। बाजपेयी के अगुवाई में 1996 में सरकार बनी तो फिरोज बख्त मंत्री बने, लेकिन 1998 में उनके साथ-साथ मुख्तार अब्बास नकवी को भी जगह मिली। वहीं, 1999 में शाहनवाज हुसैन की एंट्री हुई और बाजपेयी सरकार में सबसे कम उम्र के मंत्री रहे। शाहनवाज हुसैन तीन बार बिहार से लोकसभा सदस्य चुनकर आए।
मुख्तार अब्बास नकवी और शाहनवाज हुसैन ने जहां अपना सियासी सफर बीजेपी से शुरू किया तो नजमा हेपतुल्ला और एमजे अकबर जैसे नेताओं ने कांग्रेस से अपना राजनीतिक पारी को आगे बढ़ाया और बाद में बीजेपी का दामन थामकर केंद्र में मंत्री बने। आरिफ मोहम्मद खान भी कांग्रेस से बीजेपी में आए और फिलहाल केरल के गवर्नर है। बीजेपी ने मुस्लिम चेहरे के तौर पर सैय्यद जफर इस्लाम को भी आगे बढ़ाया है, लेकिन उनका कार्यकाल पूरा होने के बाद दोबार उच्च सदन पहुंचने का मौका नहीं मिल सका।  मौजूदा समय में लोकसभा में बीजेपी से तो कोई मुस्लिम सांसद नहीं है, लेकिन राज्यसभा में पार्टी से तीन मुस्लिम चेहरे एक साथ थे। इन तीनों ही सदस्यों का कार्यकाल पूरा हो चुका है और अब कोई भी नेता न तो लोकसभा में बीजेपी का मुस्लिम है और न ही राज्यसभा में। इतना ही नहीं मुख्तार अब्बास नकवी के इस्तीफा के बाद मोदी कैबिनेट भी मुस्लिम मुक्त पूरी तरह से हो गई है। बता दें कि लोकसभा में बीजेपी का पहले से ही कोई मुस्लिम सांसद नहीं है। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने छह मुस्लिम उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से कोई भी मुस्लिम जीत नहीं सका था। मौजूदा समय में बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए से महज एक मुस्लिम सांसद है। बिहार के खगड़िया से महबूब अली कैसर एलजेपी के टिकट पर जीतकर संसद बने थे, पर जेडीयू के टिकट पर लड़ने वाला कोई मुस्लिम सांसद नहीं बन सका था। इस तरह बीजेपी की सियासत से मुस्लिम सांसद आउट होते नजर आ रहे हैं जबकि एक समय जनसंघ से लेकर बीजेपी की राजनीति में मुस्लिम का प्रतिनिधित्व हुआ करता था।