नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर की सियासत के दो बड़े नेता फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती अपना पाकिस्तान राग अलापना कभी नहीं छोड़ते हैं। जम्मू-कश्मीर में बदले माहौल में तेज तरक्की हो रही है, लेकिन इन दोनों नेताओं को लगता है कि हालात बहुत खराब हैं। शायद इन दोनों के लिए हालात इसकारण खराब हों क्योंकि अब वहां भ्रष्टाचार की कोई जगह नहीं रह गई है, इन नेताओं के लिए हालात शायद इसलिए खराब हो रहे होगी, कि अब राजनीति और प्रशासन में परिवारवाद और भाई-भतीजावाद की कोई जगह नहीं रह गई है। जम्मू-कश्मीर में दशकों तक राज करने और इस पूरे क्षेत्र को विकास से दूर रखने वाले यह नेता अपने खराब हालात को केंद्र शासित प्रदेश के हालात से जोड़ देते हैं इसलिए इन्हें सब कुछ खराब ही खराब दिखता है।
बहरहाल, पीडीपी अध्यक्ष महबूबा ने मोदी सरकार पर बरसते हुए कहा है कि आज देश में जो माहौल बना दिया गया है वैसा कभी नहीं था। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने नारा दिया था कि घर में घुस कर मारेंगे, महबूबा ने कहा कि पाकिस्तानियों को तो पता नहीं लेकिन कश्मीरियों को जरूर घर में घुसकर मारा जा रहा है।
यही नहीं महबूबा ने केंद्र पर आरोप लगाया कि वह एक समिति द्वारा सिफारिश की गई संख्या से कहीं अधिक श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति देकर अमरनाथ यात्रा को ‘‘राजनीतिक मुद्दा’’ बना रही है। पीडीपी प्रमुख ने आरोप लगाया कि गत शुक्रवार को बादल फटने की घटना में मरने वालों की वास्तविक संख्या को प्रशासन छिपा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अब तक नहीं पता क्योंकि वे सच छिपा रहे हैं। वे कह रहे हैं कि 15-16 लोगों की मौत हुई है, लेकिन कई लोग अब भी लापता हैं। मलबे से मरे हुए घोड़े और मोटरसाइकिलें निकल रही हैं और अब भी कई लोग लापता हैं। जितना बताया जा रहा है, उससे कहीं बड़ी यह क्षति प्रतीत हो रही है। महबूबा ने आरोप लगाया, ऐसा लगता है कि जम्मू-कश्मीर उनका नहीं है, बल्कि किसी पड़ोसी का है। वे हमारे विलय को स्वीकार नहीं करते जो समान स्तर पर किया गया। वे मानते हैं कि हम किसी और इलाके के हैं जिस पर उन्होंने अब कब्जा किया है।''
दूसरी ओर, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि कश्मीर में आतंकवाद तब तक खत्म नहीं होगा जब तक कि सरकार घाटी में लोगों का दिल नहीं जीत लेती और पाकिस्तान से बात करके समाधान नहीं ढूंढ़ लेती।