भोपाल ।   सहिष्णुता का ठेका सिर्फ हिंदुओं ने ही नहीं ले रखा है, हमारी परीक्षा न लो। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर नास्तिकतावादियों, वामपंथियों और भारत विरोधियों का यह खेल (फिल्म पठान)चल रहा है, इसमें बहिष्कार ही एक विकल्प है। ये लोग हमारी सनातन संस्कृति का मजाक उड़ा रहे हैं। मैं देशवासियों से आह्वान करता हूं कि हिंदुओं के द्वारा खरीदे गए टिकटों से मुंबई के शहंशाह बने हुए लोग हैं, ये जब तक चौपाटी पर भीख का कटोरा लिए हुए दिखाई न पड़े, तब तक हिंदू समाज को भगवा का अपमान करने वालों के खिलाफ चुप नहीं बैठना चाहिए। पवैया ने कहा कि भगवा रंग इस देश की संस्कृति, त्याग और मर्यादा का प्रतीक है। फिल्म 'पठान" में की गई हरकत जानबूझकर की गई है। लोगों की आस्था को कैसे ठेस पहुंचाई जाए। यह इस बात का प्रमाण है। इसका बहिष्कार होना चाहिए। आजादी के बाद से ऐसी हरकतें लगातरी होती रही हैं। देश को आस्थाविहीन बनाने की साजिश है। आप भूल रहे हैं कि इस फिल्म की अभिनेत्री दीपिका पादुकोण टुकड़े-टुकड़े गैंग को समर्थन देने के लिए जेएनयू (जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय) गई थीं। यह अनजाने में नहीं हुआ है, ऐसा मत सोचिए कि रंग कहीं भी भगवा हो सकता है। दोनों रंगों का मिलान कीजिए। वो जो कृत्य किया जा रहा है, उसमें सनातन संस्कृति के पवित्र प्रतीक भगवा रंग का अपमान किया जा रहा है। हमें चिढ़ाया जा रहा है। अपमान सहिए और चुप रहिए, ये हिंदुओं की नियती हुआ करती थी। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार और गृहमंत्री डा.नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि इस फिल्म को यहां अनुमति नहीं दी जाएगी, यह स्वागतयोग्य कदम है। अयोध्या के संतों ने भी फिल्म पठान का बहिष्कार किए जाने की बात कही है, मैं उसका समर्थन करता हूं। सिर्फ सेंसर बोर्ड या कानून के जरिए ऐसी फिल्मों का बहिष्कार ही सबसे बड़ा हथियार हो सकता है। शाहरूख खान को हिंदू समाज का अहसानमंद होना चाहिए। वो जितनी संपत्ति कमा चुके हैं, वह हिंदुओं की टिकट से ही अर्जित की गई हैं। पवैया ने कहा कि अब देश में यह कतई नहीं चल पाएगा। वो टीएमसी के मंच पर जाकर नकारात्मकता फैलाने की बात करते हैं। वो बताएं सकारात्मकता का मतलब क्या है। सिर्फ सरकार के भरोसे सब-कुछ नहीं छाेडा जा सकता है। पवैया ने कहा कि बात हिंदू-मुस्लिम की बात नहीं है। दीपिका पादुकोण तो हिंदू है लेकिन उसे बड़ा दर्द हुआ था, जब कन्हैया ने भारत के टुकड़े-टुकड़े की बात कही थी और उस पर मुकदमा लगा था। ऐसे मृगमारीच बहुत सारे कलाकार हैं, जो खाल ओढ़े हुए हैं और बालीवुड में घूम रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि ऐसे लोगों का जब तक बहिष्कार नहीं होगा, तब तक इनकी मानसिकता बदलने वाली नहीं है। ये देश के खिलाफ लड़ने वालों की मदद को भी तैयार हैं। उधर, प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता दीप्ति सिंह ने पठान फिल्म को लेकर भोपाल से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के बयान भगवा का अपमान करने पर मुंह-हाथ तोड़कर हाथ में दे देंगे, को तालिबानी सोच का परिचायक बताया। सनातन धर्म में देवी-देवताओं की पूूजा को लेकर कई विधि-विधान और रंगों का उपयोग बताया गया है। इसमें लाल, पीला, हरा व सफेद रंग के प्रभाव के बारे में उल्लेख किया गया है लेकिन भगवा रंग का धार्मिक उपयोग कहीं भी नहीं है।