कमलाराज अस्पताल अग्निकांड ग्वालियर / जिम्मेदार कौन, प्रबंधक या अधीक्षक ?

कमलाराज अस्पताल अग्निकांड ग्वालियर
जिम्मेदार कौन, प्रबंधक या अधीक्षक ?
धर्मवीर सिंह एडिटर इन चीफ -9425111280
ग्वालियर। 16 मार्च की रात 1 बजे के आसपास कमलाराजा अस्पताल के प्रसुतिग्रह आईसीयू में आग लग जाती है। आग लगने का कारण प्रथम दृश्टया एसी के फाॅल्ट से होना एसडीएम ग्वालियर एवं नगरनिगम के फायर अधिकारी अतिबल के द्वारा बताया गया परन्तु इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी प्रबंधक डाॅ. अनिल मेवाफरोस एवं अधीक्षक सुधीर सक्सेना का कोई बयान सामने नहीं आया। हालांकि अब इस आग के कारणों एवं जिम्मेदार को ढूंडने के लिये कलेक्टर ने एक जांच कमेटी गठितकर जांच षुरू कर है। जांच में लापरवाही का पहला कदम प्रबंधक और अधीक्षक की ओर जाता दिखाई दे रहा है। क्यांेकि जांच टीम को बताया गया कि प्रसुतिग्रह आईसीयू के दस में से सात एसी बिलकुल कंडम स्थिति में लगे हुए हैं। क्या यह जानकारी अधीक्षक और प्रंबधक के संज्ञान में नहीं थी। यह एक बड़ा प्रष्न है।
आप अंदाज लगा सकते हैं कि जब आईसीयू का ये हाल है तो अन्य जगहों का हाल क्या होगा। हाॅस्पीटल के हालात अंधेर नगरी चैपट राजा की तहर हो रहे हैं। बात आग की जाये तो उसके लिये मेडिकल स्टाफ, प्रबंधक, अधीक्षक, बिजली ठेकेदार को जिम्मेदार माना जा सकता है। क्योंकि जो बातें जांच में सामने आएंगी क्या वो इन लोगांे को पूर्व से पता नहीं है। कि प्रसुतिग्रह की आईसीयू में जो लाईट फिटिंग हैं उसके लोड लेने की छमता क्या है। और उसमें जो उपकरण संचालित किये जा रहे हैं क्या वे उस लोड के अंतर्गत हैं या फिर ओवरलोड उपयोग किया जा रहा है। वहीं जब एसी की बात करें तो मौसम परिवर्तन होने पर एसी को चालू करने के पूर्व उनकी सर्विस किया जाना अतिआवष्यक होता है। यदि ऐसा किया गया होता तो षायद आग नहीं लगती है। जांच के पहले कदम में पता चला कि इस आईसीयू में दस में से सात एसी कंडम हैं और वे कब से कंडम हैं क्या इस बात की जानकारी प्रबंधक या एसी ठेकेदार को नहीं थी। आखिर क्यों दिखाने के लिये कंडम एसी लगाये हुए थे।
सूत्र बताते हैं कि जिम्मेदार लोग अपने निजी हितों को साधने के खातिर अपने कर्तव्यों के प्रति पूर्णतः ईमानदारी नहीं दिखा पाते हैं। ऐसा लग रहा है कि तकरीबन सभी जिम्मेदार पदाधिकारी भ्रश्टाचार से अपनी रिष्तेदारी निभाने में मषरूफ हैं यह आग लापरवाही की नहीं वल्कि भ्रश्टाचार की आग दिखाई दे रही है। जोकि अति के अंत का एक रूप है।
डीन का आदेष रद्दी की टोकरी में।
कलेक्टर साहब ने भले ही जांच के लिये टीम बना दी है परन्तु हमारे सूत्र बताते हैं कि जिम्मेदार प्रबंधक डाॅ. अनिल मेवाफरोस और अधीक्षक सुधीर सक्सेना की इसमें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी हो सकती है। क्योंकि इन्होंने डीन के उस आदेष को गंभीरता से नहीं लिया। जो डीन आरकेएस धाकड़ द्वारा पत्र क्रमांक 844/स्टेनो/2025 दिनांक 08/01/2025 को निकाले गये एक आदेष में साफ साफ लिखा कि प्रषासकीय कार्य सुविधा की दृश्टि से अस्पताल प्रबंधक अस्पताल सहायक प्रबंधक जेएएच को निर्देषित किया जाता है कि आप चिकित्सालय के विभिन्न विभागों को प्रतिदिन निरीक्षण कर बिजली पानी एवं मरीजों से संबधित अन्य के संबध में वार्डों में भर्ती मरीजों से वार्तालाप कर उनकी समस्या अपनी डायरी में नोटकर उसका यथा षीघ्र समाधान किया जाना सुनिष्ति करेंगे। साथ ही प्रतिदिन की कार्यवाही की जानकारी समक्ष में संयुक्त संचालक एवं अधीक्षक को व्यक्तिगत रूप से अवगत करावेंगे एवं की गई कार्यवाही की रिपोर्ट से अधोहस्ताक्षरकर्ता को सूचित करेंगे।
अगर अस्पताल के समस्त जिम्मेदार इस आदेष के तहत अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाते रहें तब षायद ही मरीजों को किसी भी प्रकार की समस्याओं से रूबरू होना पड़ेगा। और न कभी भविश्य में ऐसी आगजनी घटना की पुनरावृति होगी।
बहुत पुरानी हो चुकी बिल्डिंग
कमला राजा अस्पताल की बिल्डिंग लगभग 88 साल पुरानी हैंण् इस अस्पताल को तत्कालीन सिंधिया शासकों ने राजकुमारी कमलाराजे की स्मृति मे बनाने का फैसला हुआ थाण् दिसंबर 1936 मे इसकी आधारशिला रखी गईण् इसका निर्माण कार्य पूरा होने तक देश आजाद हो चुका थाण् पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 250 बिस्तर वाले इस लेडी और चाइल्ड हॉस्पिटल का उद्घाटन कियाण् तब से यह इसी भवन में चल रहा हैंण् अभी इसमें 450 पलंग हैंण् समय.समय पर इसका विस्तार तो होता रहाण् एसी और लाइट की जरूरत भी बढ़ीए लेकिन इसकी लाइट वायरिंग मे ज्यादा परिवर्तन नहीं होने से इसमें बार.बार आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं
इनका कहना
इसमें अभी में कुछ नहीं कह सकता आप आॅफिस आ जाईए बैठकर बात करते हैं
डाॅ अनिल मेवाफरोस, प्रबंधक केआरएच
हमने कई यूनिटों लोगों से विभिन्न एंगल से जानकारी मांगी है जानकारी एकत्रित होने पर ही कुछ कहा जा सकता है लेकिन लाईट का फोल्ट ही मेजर समस्या दिखाई दे रही है
डाॅ. सुधीर सक्सेना अधीक्षक