भगवान गणपति की विभिन्न तरह की मूर्ति स्थापित करने का परंपरा है। हर भक्त अपने अनुरुप भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करते हैं। कोई बाजार से लेकर मूर्ति स्थापित करता है, तो कोई घर में ही मिट्टी से मूर्ति बनाकर विधिवत पूजा करते विदा करता है।

आक के पेड़ की जड़ से गणपति की मूर्ति : आक का पौधा भगवान शिव को अतिप्रिय है। इसे आकड़ा भी कहा जाता है। आंकड़े के पौधे से निकले सफेद फूल भगवान शिव को चढ़ाने से वह अति प्रसन्न होते हैं। वहीं आक के पौधे की जड़ से गणेश जी की आकृति बनाई जाती है जिसे श्वेतार्क गणेश के नाम से जाना जाता है। इस जड़ की सफाई के बाद घर के मंदिर में स्थारित करते हैं और विधिवत पूजा करने का विधान है।

हल्दी से बनें गणपति : हल्दी को पीसकर उसमें पानी मिलाकर आटा की तरह इस्तेमाल करके गणपति की आकृति बनाकर मंदिर में रख सकते हैं। इसके अलावा हल्दी की कई ऐसी गांठ होती है जिसमें गणपति की आकृति दिखाई देती हैं। इन्हें भी मंदिर में रखकर पूजा कर सकते हैं।

गाय के गोबर से बनी मूर्ति : गाय का गोबर काफी पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही गोबर में मां लक्ष्मी का वास होता है।आप चाहे को गाय के गोबर के गणपति की आकृति बनाकर मंदिर में स्थापित कर सकते हैं। ये मूर्ति इकोफेंडली भी होगी।

लकड़ी की मूर्ति : वेद शास्त्रों में पीपल, आम और नीम की लकड़ी को काफी शुद्ध औऱ शुभ माना जाता है। इसलिए इन लकड़ी का इस्तेमाल करके गणेश जी की मूर्ति बनाएं। इस मूर्ति को प्रवेश द्वार के बाहर ऊपरी हिस्सा में रखें।