नई दिल्ली ।  भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास सतर्कता बढ़ाने की नीति के तहत जवानों को चीनी भाषा सिखा रही है। सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि सेना में मंदारिन भाषा में विशेषज्ञता बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, ताकि जूनियर और सीनियर कमांडर जरूरत पड़ने पर चीनी सैन्य कर्मियों से संवाद कर सकें।
उन्होंने कहा कि सेना की उत्तरी, पूर्वी और मध्य कमान के भाषा स्कूलों में मंदारिन भाषा संबंधी विभिन्न पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। भारतीय सेना मंदारिन भाषा से विभिन्न लेखों या साहित्य के अनुवाद के लिए कृत्रिम मेधा आधारित समाधानों का भी उपयोग कर रही है।
एक सूत्र ने कहा, ‘‘मंदारिन में बेहतर पकड़ के साथ भारतीय सेना के कर्मी अपनी बात को और अधिक स्पष्ट तरीके से व्यक्त कर पाएंगे।'' प्राप्त जानकारी के अनुसार, भारतीय सेना में अधिकारियों और जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) समेत सभी रैंक में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मी हैं, जो मंदारिन भाषा जानते हैं।
सेना ने प्रादेशिक सेना में मंदारिन प्रशिक्षित कर्मियों को शामिल करने के लिए आवश्यक अनुमोदन हाल में प्राप्त किए हैं। सूत्रों ने कहा कि चीनी भाषा के विशेषज्ञ सामरिक स्तर पर कार्यात्मक रूप से आवश्यक हैं और वे भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए अभियानगत और रणनीतिक स्तर पर विश्लेषण करने के लिए जरूरी हैं।
उन्होंने कहा कि कोर कमांडर स्तर की वार्ता, फ्लैग मीटिंग, संयुक्त अभ्यासों और सीमा कार्मिक बैठकों (बीपीएम) जैसे विभिन्न स्तर के संवाद के दौरान चीनी पीएलए की गतिविधियों के बारे में उनकी बात को बेहतर तरीके से समझने और विचारों का बेहतर तरीके से आदान-प्रदान करने के लिए बड़ी संख्या में मंदारिन विशेषज्ञों की आवश्यकता है।
सेना ने अपने कर्मियों को मंदारिन भाषा में दक्षता प्रदान करने के लिए हाल में राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (आरआरयू), गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूजी) और शिव नाडर विश्वविद्यालय (एसएनयू) के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसके साथ ही, प्रतिष्ठान के भीतर किए जा रहे प्रयासों के तहत पचमढ़ी स्थित सैन्य प्रशिक्षण स्कूल और विदेशी भाषा स्कूल, दिल्ली में रिक्तियों को बढ़ाना शामिल है।
सूत्रों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार भाषाविदों की दक्षता के स्तर का आंकलन करने के लिए प्रशिक्षित सैनिकों की दिल्ली में ‘लंगमा स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज' जैसे नागरिक संस्थानों के माध्यम से परीक्षा आयोजित की जाती है। पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के बाद एलएसी पर समग्र निगरानी बढ़ाने के लिए सशस्त्र बलों ने पिछले दो वर्षों में कई कदम उठाए हैं।