छिंदवाड़ा ।   हर साल की तरह इस साल भी ऐतिहासिक गोटमार मेले का आयोजन किया जा रहा है। प्रशासन का प्रयास है कि इस बार सांकेतिक रूप से ही मेला हो, हर साल की तरह पत्थरबाजी न हो। शनिवार को शुरू हुए मेले में सबसे पहले पलाश के डंडे में झंडे को सुबह 5 बजे पांढुर्ना और सावरगांव का विभाजन करने वाली जाम नदी में मजबूती से गाड़ दिया गया। सुबह 11 बजे तक सावरगांव और पांढुर्ना के इस मेले के प्रति आस्था रखने वाले महिला एवं पुरुष पूजा-अर्चना करेंगे। इसके बाद पत्थरबाजी का खूनी खेल शुरू हो जाएगा।

पोला पर्व के दूसरे दिन वर्षों पुरानी मान्यता के आधार पर आयोजित होने वाला गोटमार मेला पूरे विश्व मे अनोखा है। गोटमार मेले में पांढुर्ना-सावरगांव दोनों पक्ष के लोग नदी के दोनों किनारों पर खड़े होकर एक-दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। इसमें सावरगांव पक्ष के लोग पलाश के झंडे को पांढुर्ना सावरगांव के बीच बहने वाली जाम नदी के बीच झंडे को स्थापित करते हैं। जिसके बाद पूजा-अर्चना कर गोटमार की प्रक्रिया शुरू होती है। इसमें दिन-भर दोनो पक्षो के लोग एक दूसरे पर आमने-सामने पत्थर बरसाते हैं। जिससे सैकड़ों लोग गंभीर रूप से घायल होते हैं। इस बीच जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक और स्थानीय प्रशासन के पूरे अधिकारी तैनात होते हैं। गोटमार मेले की हर एक गतिविधि पर अपनी पैनी नजर बनाये रखते हैं। गोटमार मेले में पुलिस बल लोगों की सुरक्षा और मेले को शांति से सम्पन्ना कराने के लिए शहर के हर इलाके पर तैनात होता है। इस बार दो अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सात एसडीओपी, दस थाना प्रभारी 30 एसआइ, 50 एएसआइ और लगभग 500 एसएएफ, होमगार्ड, वन विभाग जिला पुलिस बल तैनात होंगे। गोटमार मेले में घायल होने वाले लोगों के लिए फिलहाल प्रशासन ने कोई मेडिकल व्यवस्था में कैंप नहीं लगाए हैं। उल्लेखनीय है कि हर साल पुलिस व प्रशासन द्वारा गोटमार मेले में पत्थरबाजी रोकने की कोशिश की जाती है। इसके बावजूद कई लोग घायल होते हैं।