नई दिल्ली । मोदी सरकार ने भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए, इसमें बच्चों को लक्षित करने और उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए मुफ्त दावे करने वाले विज्ञापन शामिल हैं। दिशानिर्देशों में कहा गया कि विज्ञापन जारी करने से पहले उचित सावधानी बरती जाए। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय द्वारा अधिसूचित नए दिशानिर्देशों में ‘सरोगेट’ विज्ञापनों पर भी रोक लगाई गई है और विज्ञापन दिखाते समय किसी उद्घोषणा में अधिक पारदर्शिता लाने की बात कही गई है। ये दिशानिर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हुए हैं। ‘सरोगेट’ विज्ञापन छद्म विज्ञापन होते हैं, जो किसी अन्य उत्पाद का प्रचार करते हैं। जैसे सोडा वाटर के बहाने शराब का प्रचार करना या इलायची के बहाने गुटखा का प्रचार करना। उपभोक्ता मामलों के सचिव ने इन दिशानिर्देशों की घोषणा कर हुए कहा, विज्ञापनों में उपभोक्ता काफी दिलचस्पी लेते हैं। सीसीपीए अधिनियम के तहत, उपभोक्ताओं के अधिकारों को प्रभावित करने वाले भ्रामक विज्ञापनों से निपटने का प्रावधान है।’’उन्होंने कहा,‘‘...लेकिन उद्योग को अधिक स्पष्ट और जागरूक बनाने के लिए, सरकार आज से निष्पक्ष विज्ञापन के लिए दिशानिर्देश लेकर आई है। ये दिशानिर्देश प्रिंट, टेलीविजन और ऑनलाइन जैसे सभी मंचों पर प्रकाशित विज्ञापनों पर लागू होगा। नए दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने पर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (सीसीपीए) के प्रावधानों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।