पिछले कुछ दिनों में विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजारों से लगातार निकासी की है। वहीं, अगर इस महीने में अब तक करीब 14,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। इसके साथ विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा इक्विटी से शुद्ध आउटफ्लो 2022 में अब तक 1.81 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जैसा कि डिपॉजिटरी के आंकड़ों से पता चलता है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ रिसर्चर विनोद नायर ने कहा कि भविष्य में एफपीआई की बिक्री निकट अवधि में जारी रह सकती है। हालांकि, लघु से मध्यम अवधि के दौरान बिकवाली में कमी की उम्मीद है।

उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि आर्थिक मंदी, तेज मौद्रिक नीति, आपूर्ति की कमी और उच्च मुद्रास्फीति जैसे बदलाव का एक बड़ा हिस्सा बाजार की कीमतों में है, जो पिछले 7 महीनों में मजबूत हो रहा था और केंद्रीय बैंकों के लिए आक्रामक नीति बनाए रखने के लिए लंबी अवधि में मुद्रास्फीति ऊंची बनी रहनी चाहिए।आंकड़ों के मुताबिक 1-10 जून के दौरान विदेशी निवेशकों ने इक्विटी से 13,888 करोड़ रुपये की नेट विड्रॉल की थी। एफपीआई अक्टूबर 2021 से लगातार भारतीय इक्विटी से पैसा निकाल रहे हैं। नायर ने नए एफपीआई आउटफ्लो के लिए फेडरल रिजर्व की बैठकों को जिम्मेदार ठहराया।