भोपाल । नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के भोपाल कैंपस में शैक्षणिक सत्र की शुरुआत इसी साल अगस्त से होगी। पहले चरण में यहां एक डिग्री तो तीन डिप्लोमा कोर्स संचालित होंगे। फैकल्टी की व्यवस्था गांधीनगर यूनिवर्सिटी से की जाएगी। संविदा भर्ती भी होंगी। सरकार ने बरखेड़ा बोंदर में यूनिवर्सिटी को 15 एकड़ जमीन दी है। भवन निर्माण होने तक बरखेड़ा बोंदर स्थित सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री में कक्षाएं लगेंगी। बता दें, गांधीनगर (गुजरात) स्थित नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी का भोपाल में कैंपस शुरू किया गया है। यूनिवर्सिटी का दिल्ली,गोवा, त्रिपुरा, पुणे, गुवाहाटी और मणिपुर में कैंपस है। सुविधाएं मुहैया होने के बाद भोपाल में 20 से अधिक कोर्स संचालित होंगे।
भोपाल कैंपस में एमएससी फॉरेंसिक साइंस में दो साल के कोर्स में प्रवेश मिलेगा। 30 सीटें रखी हैं। चार सेमेस्टर में कोर्स पूरा होगा। तीन पीजी डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जा रहे हैं। इनमें पीजी डिप्लोमा इन फॉरेंसिक डॉक्यूमेंट एक्जामिनेशन, पीजी डिप्लोमा इन फिंगरप्रिंट साइंस व पीजी डिप्लोमा इन डीएनए फॉरेंसिक है। ये तीनों कोर्स एक-एक साल के हैं।
फिल्म निर्माताओं की पसंदीदा जगह बन चुके मध्यप्रदेश में इस कारोबार से जुड़े प्रशिक्षित लोगों का संकट जल्द दूर होगा। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विवि (एमसीयू) के नए कैंपस में मध्यभारत का सबसे बड़ा फिल्म विभाग खुल गया है। यहां इसी साल नए सत्र से फिल्म पत्रकारिता, फिल्म अध्ययन, फिल्म प्रोडक्शन में स्नातक (यूजी), स्नातकोत्तर (पीजी) हो सकेगी। पीएचडी भी कर सकेंगे। सूबे में कोरोना के बाद से तेजी से फिल्मों, सीरियल, वेब सीरीज की शूटिंग शुरू हुई है। पिछले साल यहां 35 से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग हुई। इनमें काम करने वाला ज्यादातर स्टाफ मुंबई से आया। अब यहीं युवाओं को प्रशिक्षण की सुविधा होने से निर्माताओं के लिए शूटिंग से जुड़े लोगों की कमी दूर होगी।
डायरेक्टर अशोक सारण ने कहा, मप्र में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। युवाओं को प्रशिक्षण मिलते ही फिल्म उद्योग को बड़ा सहारा मिलेगा। अभी शूटिंग करने हमें महाराष्ट्र से लोग लाने पड़ते हैं। एमसीयू के कुलपति केजी सुरेश ने बताया, मप्र में अभी जहां शूटिंग होती है, वहां महाराष्ट्र की गाडिय़ां दिखती हैं, पर अब फिल्म अध्ययन विभाग से प्रदेश सिनेमा का हब बनेगा।