खंडवा ।  इंदौर-इच्छापुर मार्ग पर मोरटक्का में नर्मदा का जलस्तर सामान्य होने के बाद भी बुधवार को पुल से वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं हो सकी। शाम को पुल से पानी उतरने पर खेड़ीघाट वाले छोर पर दो नंबर पिलर में दरार नजर आने की चर्चा के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआइ) की टीम ने जांच की है। प्रशासन को अब रिपोर्ट का इंतजार है। इसके बाद ही पुल से वाहनों की आवाजाही शुरू हो सकेगी, जबकि स्थानीय लोगों द्वारा दरार पुरानी बताने से संशय की स्थिति बन गई है। मोरटक्का में नर्मदा नदी का जलस्तर बुधवार शाम चार बजे खतरे के निशान से नीचे पहुंचने पर एनएचआइ की टीम द्वारा निरीक्षण और हरी झंडी देने का प्रशासन इंतजार कर रहा था। इसी बीच करीब 68 साल पुराने पुल के बड़वाह (खरगोन) के अंतर्गत आने वाले एक पिलर में दरार नजर आने से हड़कंप मच गया। बड़वाह प्रशासन द्वारा जांच के बाद ही यातायात शुरू करवाने का निर्णय लेने से खंडवा जिला प्रशासन ने भी पुल से आवाजाही शुरू करने से हाथ पीछे खींच लिए है।


ओंकारेश्वर बांध के अभी भी 18 गेट खुले

ओंकारेश्वर बांध के सभी 23 गेट मंगलवार दोपहर खोलकर 20733 क्यूमेक्स पानी छोड़ने से नर्मदा का जलस्तर 165.5 मीटर पहुंचनेे से मोरटक्का में नर्मदा के पुल से वाहनों की आवाजाही शाम पांच बजे बंद कर दी गई थी। बुधवार दोपहर दो बजे बांध के पांच गेट बंद कर 18 खुले हुए गेटों की ऊंचाई 100 मीटर से घटा कर 40.5 मीटर कर दी गई। इससे नर्मदा का जलस्तर खतरे के निशान 163 मीटर से नीचे आ गया है। बांध के पावर हाउस में टरबाइन का संचालन शुरू कर बिजली उत्पादन प्रारंभ हो गया है। इंदिरा सागर बांध का जलस्तर भी 261.80 तक पहुंचने से वहां से भी खुले हुए गेटों की संख्या घटा दी गई है। खेड़ीघाट के नाविक जगन्नााथ केवट ने बताया कि पुल के दूसरे नंबर वाले खंभे में जो दरार दिख रही है। वह पुरानी है। ऐसी दरार कई खंभों में है। इससे पहले कई बार यह पुल भीषण बाढ़ का सामना कर चुका है। 

-निरीक्षण के दौरान बड़वाह थाना प्रभारी को पुल के एक पिलर में दरार होने की जानकारी मिली है। इससे एनएचआइ को अवगत करवा दिया है।

-विनोद दीक्षित ,एसडीओपी बड़वाह

- पुल के एक पिलर में दरार की जानकारी के बाद जायजा लिया है। जांच उपरांत वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की जा रही है। स्थानीय लोग और नाविक दरार पुरानी बता रहे हैं। सुरक्षा के मद्देनजर फिलहाल पुल से वाहनों की आवाजाही शुरू नहीं की है।

-प्रशांत शिवहरे, असिस्टेंट इंजीनियर एनएचआइ