भोपाल। वैश्विक महामारी कोरोना ने आर्थिक रूप से हर क्षेत्र को प्रभावित किया है। कोरोना महामारी से शिक्षा का क्षेत्र भी अछूता नहीं रहा है। कोरोना काल के दौरान राजधानी में सैकडों की संख्या में निजी स्कूलों पर ताला लटक गया। वहीं आरटीई के तहत प्रवेश लेने वाले हजारों की संख्या में बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए। कोविड काल में आर्थिक रूप से कई निजी स्कूल बदहाल हो गए। यहां तक कि कई बंद हो गए। स्कूल शिक्षा विभाग ने एक हजार से ज्‍यादा ऐसे निजी स्कूलों को चिन्हित किया है, जो किन्हीं कारणों से बंद हो गए हैं। इन स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत 25 फीसद सीटों पर गरीब परिवार के करीब 10 हजार बच्चों को प्रवेश दिया गया है। अब पिछले सत्र में स्कूल बंद होने से इस सत्र में बच्चों का भविष्य संकट में आ गया है। इसमें सबसे अधिक उज्जैन, छतरपुर, ग्वालियर व विदिशा जिले में निजी स्कूल शामिल हैं। वहीं भोपाल के 38 स्कूल बंद हो गए हैं। इसमें 132 बच्चे शिक्षा के अधिकार से वंचित हो गए हैं। वहीं राज्य शिक्षा केंद्र सत्र 2022-23 के लिए आरटीई के तहत प्रवेश प्रक्रिया जल्द शुरू करेगा। इस सत्र के लिए आवेदन प्रक्रिया 15 जून से शुरू की जाएगी। इस बार भी आवेदन से लेकर दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया आनलाइन संपन्‍न होगी। इन स्कूलों के बच्चों को शिक्षा से जोड़ने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र ने शासन को प्रस्ताव भेजकर अनुमति ले ली है। इस साल आरटीई में इन बच्चों को शामिल होने का मौका मिलेगा। राज्य शिक्षा केंद्र के संचालक धनराजू एस का कहना है कि प्रदेश के 1100 से अधिक स्कूल बंद होने से करीब दस हजार बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए है। इनमें से नर्सरी, केजी और पहली कक्षा में पढ़ने वाले बच्चों को इस साल आरटीई के तहत लाटरी प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा। उन्हें पहली प्राथमिकता से प्रवेश दिए जाएंगे। वहीं दूसरी से आठवीं कक्षा वाले बच्चों के लिए भी निर्णय लेंगे। इस बारे में प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह का कहना है कि कोविड काल में बच्चों की फीस मिली नहीं। साथ ही आरटीई के तहत करीब तीन साल से फीस का भुगतान नहीं किया गया है। यही कारण है कि प्रदेश के करीब 1100 स्कूल आर्थिक तंगी के कारण बंद हो गए।