भोपाल । मप्र में आदिवासी को कांगे्रस का परंपरागत वोट माना है, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा ने न सिर्फ कांग्रेस की इस परंपरागत वोट बैंक में सेंध मारने की जमावट की है, बल्कि कांग्रेस के  आधे से ज्यादा आदिवासी विधायकों ने एनडीए की प्रत्याशी द्रोपदी मुर्म को वोट किया है। इससे न सिर्फ कांग्रेस की परेशानी बड़ी है, बल्कि अगले साल विधानसभा चुनाव में सत्ता में वापसी की उम्मीद कर रही कांग्रेस को तगड़ा झटका दे दिया है। मप्र के आदिवासी विधायकों ने कांग्रेस का साथ न देकर अपने आदिवासी समाज का साथ दिया है।
राष्ट्रपति चुनाव के घोषित नतीजों आंकड़ों के अनुसार मप्र में 230 विधायकों ने मतदान किया था। जिनमें से 5 वोट अमान्य किए गए, जबकि 225 वोट ही मान्य किए गए थे। एनडीए प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू को मप्र से 146 वोट मिले हैं, जबकि यूपीए प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को मप्र कांग्रेस के 96 विधायकों में से  79 वोट ही मिले। ऐसे में मप्र कांग्रेस के 17 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है। हालांकि भाजपा का दावा है कि  कांग्रेस के 19 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है।
मप्र विधानसभा के रिकॉर्ड के अनुसार वर्तमान में भाजपा के पास 127 विधायक हैं। जबकि मप्र भाजपा का दावा है कि राष्ट्रपति चुनाव में सपा, बसपा एवं निर्दलियों का भी वोट मिला है। ऐसे में 4 निर्दलीय, 2 बसपा, 1 सपा विधायक के वोट भी द्रोपदी मुर्मू को मिले हैं।
मप्र में अनुसूचित जनजाति के लिए 46 विधानसभा सीट आरक्षित हैैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांगे्रस को 33 से ज्यादा सीटें मिली थीं। हालांकि  2020 में बिसाहूलाल सिंह, सुमित्रादेवी काडसकर समेत 5 आदिवासी विधायक भाजपा में शामिल हेा गए थे। वर्तमान में कांगे्रस के पास 96 विधायक हैं। इनमें 28 आदिवासी हैं। कांग्रेस के जितने विधायकों ने राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंग की है, उनमें आदिवासी विधायकों के नाम ही चर्चा में है।
द्रोपदी मूर्मू को देश की राष्ट्रपति बनाकर भाजपा ने देश भर के करीब 13 फीसदी आदिवासी वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। मूर्मू की जीत पर भाजपा ने देश भर में आदिवासियों की बीच जीत का जश्न मनाया। मप्र में भी भाजपा अब राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के बहाने आदिवासियों के बीच पैठ बढ़ाएगी। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा मूर्म को भुनाएगी।