भोपाल । 2020 में सत्ता से बाहर होने के बाद से ही कांग्रेस का पूरा फोकस 2023 में सरकार बनाने पर है। इसके लिए पार्टी ने रणनीति बनाई है कि सरकार और भाजपा संगठन को हर मोर्चे पर घेरा जाए। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पार्टी को मजबूत किया जा रहा है। प्रदेश कांग्रेस जानती है कि मिशन-2023 फतह करने के लिए सोशल मीडिया टीम का मजबूत होना कितनी जरूरी है। इसलिए कांग्रेस अपनी सोशल मीडिया टीम को और धारदार बनाएगी, ताकि सरकार और भाजपा संगठन का हर मोर्चे पर घेराव किया जा सके।
गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर कांग्रेस के नेता काफी सक्रिय हैं। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस अपनी सोशल मीडिया टीम को और धारदार बनाने जा रही है। यही वजह है कि पार्टी की सोशल मीडिया टीम में नियुक्ति के नए और कड़े मापदंड तय किए गए हैं। इसके अनुसार सोशल मीडिया टीम में पद के इच्छुक युवा के पास ट्विटर एवं इंस्टाग्राम पर सक्रिय अकाउंट होना जरूरी है। उसके फेसबुक पर न्यूनतम 4000 फ्रेंड/फॉलोअर, ट्विटर पर न्यूनतम 200 फॉलोअर, इंस्टाग्राम पर न्यूनतम 500 फॉलोअर और उसे अपने क्षेत्र के 100 से अधिक व्हाट्सएप ग्रुप का मेंबर होना चाहिए। इसके अलावा सोशल मीडिया विभाग में नियुक्ति के लिए इच्छुक व्यक्ति को रोजाना चार घंटे से अधिक का समय पार्टी को देना अनिवार्य रहेगा और फेसबुक, ट्विटर एवं इंस्टाग्राम पर हर रोज 5 से अधिक पोस्ट करना होंगी।
सोशल मीडिया को मजबूत और धारदार बनाने के साथ ही कांग्रेस संगठन का काम संभाल रहे नेताओं के नेतृत्व क्षमता का आंकलन करने की तैयारी में है।  सूत्रों की माने तो प्रदेश कांग्रेस को इस बात की हैरानी है कि निकाय और पंचायत चुनाव में उनके कई श्रेष्ठ नेताओं के क्षेत्र में कांग्रेस बुरी तरह फ्लाप रही है। पार्टी ये देखना चाहती है कि इन नेताओं को आगे जिम्मेदारी देने से क्या अब भी सकारात्मक परिणाम आ सकते है। गौरतलब है कि अगली बार प्रदेश में भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने का दावा करने वाली कांग्रेस हर कदम फूंक-फूंक कर रख रही है। इसके बेहतर परिणाम उन्हें निकाय चुनाव में देखने को मिले है, जिसमें कांग्रेस ने पांच नगर निगमों में अपने मेयर जिताकर कार्यकर्ताओं में ये उम्मीद पैदा कर दी है, कि सूबे की जनता कांग्रेस को सत्ता सौपना चाहती है। लेकिन प्रदेश नेतृत्व इस बात से हैरान है कि उनके कई अनुभवी और बेहतर काम करने वाले कई नेताओं को जहां निकाय चुनाव की जिम्मेदारी सौपी थी, वहां कांग्रेस बुरी तरह पराजित हुई है। कुछ निकायों में तो कांग्रेस को पिछले चुनाव से भी ज्यादा मतों के अंतर से हार झेलनी पड़ी है।
इससे प्रदेश नेतृत्व अब असमंजस में पड़ गया है कि क्या जिम्मेदारी सौंपी जाए। प्रदेश नेतृत्व इस बात को लेकर परेशान है कि वह जिन नेताओं पर भरोसा कर रही थी, इन परिणामों के बाद क्या उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौपी जाये। यदि नहीं तो उनके विकल्प के तौर पर कौन से चेहरों को आगे बढ़ाया जाएं। पार्टी से जुड़े सूत्रों की माने तो प्रदेश कांग्रेस किसी भी तरह का फैसला लेने से पहले अपने इन नेताओं के नेतृत्व का आंकलन कराएंगी। इसके लिए जल्द ही पार्टी इन नेताओं के साथ बैठक करेगी, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश के प्रभारी महासचिव मुकुल वासनिक के अलावा कुछ रणनीतिकार व राजनैतिक विशेषज्ञ भी शामिल होंगे, जिनके द्वारा इन नेताओं से निकाय चुनाव के दौरान उनकी रणनीति के बारे में जानकारी हासिल की जाएंगी और उनसे पूछा जाएगा कि गलती कहां हुई, जिससे हम जीतने वाले निकाय भी हार गए। नेताओं के जवाब पर ही रणनीतिकार रिपोर्ट तैयार कराएंगे और फिर उसी आधार पर।
जानकारी के मुताबिक सोशल मीडिया विभाग ने ग्वालियर और चंबल संभाग की टीम को भंग कर दिया है। अब वहां पर सोशल मीडिया की नई टीम का गठन किया जा रहा है। वहां पर सोशल मीडिया टीम का गठन नए मापदंडों के अनुसार किया जाएगा। मप्र कांग्रेस सोशल मीडिया विभाग के अध्यक्ष अभय तिवारी का कहना है कि पूरे प्रदेश में सोशल मीडिया विभाग में नियुक्ति नए मापदंडों के आधार पर की जाएगी। नियुक्ति से पहले आवेदक के प्रोफाइल चैक किया जाएगा। टीम मे उन्हीं लोगों का चयन किया जाएगा, जिनके सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर फॉलोअर की संख्या ज्यादा होगी, ताकि कम से कम समय में अधिक से अधिक लोगों तक प्रभावी ढंग से अपनी बात पहुंचाई जा सके। उन्होंने कहा कि कमलनाथ के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही सोशल मीडिया टीम मजबूत हुई है और इसमें लगातार सुधार किए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में सोशल मीडिया टीम में और कसावट लाई जाएगी। पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस अब किसी को भी अपना पदाधिकारी बनाने के पूर्व उसकी पिछली गतिविधियों की भी गहनता से छानबीन करेगी। पिछले  विधानसभा उपचुनाव, नगरीय निकाय एवं  पंचायत चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में किए कार्यों का समुचित आंकलन और सरकार के खिलाफ आवाज उठाने को भी नियुक्ति में आधार माना जाएगा।