भोपाल । सीबीएसई द्वारा कोरोनाकाल में 10वीं के विद्यार्थियों से वसूली गई परीक्षा फीस वापस नहीं होगी। इस वसूली को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खुद याचिकाकर्ता ने ही वापस ले ली। याचिका मप्र हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हुई थी।
याचिका में कहा था कि हर साल की तरह 2020-21 में भी सीबीएसई ने दसवीं के परीक्षार्थियों से 1800-1800 रुपये परीक्षा फीस के नाम पर जमा करवाए थे। बाद में कोरोना की वजह से परीक्षा ही निरस्त कर दी गई। जब परीक्षा ही नहीं हुई तो फिर सीबीएसई ने फीस किस बात की ली थी। याचिका में मांग थी कि चूंकि परीक्षार्थियों ने परीक्षा के लिए फीस दी थी और परीक्षा हुई ही नहीं है, इसलिए परीक्षार्थियों को फीस लौटाई जाए। याचिकाकर्ता के पुत्र ने भी दसवीं की परीक्षा के लिए सीबीएसई में फीस जमा कराई थी। कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता से कहा था कि वे याचिका और संबंधित दस्तावेज की प्रति सीबीएसई के वकील को उपलब्ध करवा दें। मामले में आगे सुनवाई होती इसके पहले ही खुद याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने याचिका वापस ले ली है।
याचिका में कहा था कि सीबीएसई ने दसवीं की परीक्षा फीस के नाम पर देशभर में 10 लाख से ज्यादा बच्चों से फीस जमा करवाई थी। यह रकम करोड़ों रुपये होती है। विद्यार्थियों से वसूली गई इस रकम को परीक्षा की व्यवस्थाओं के नाम पर जमा करवाया गया था। सीबीएसई ने परीक्षा निरस्त कर दी तो व्यवस्थाएं करना ही नहीं पड़ी। ऐसे में यह पैसा विद्यार्थियों को लौटाई जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उल्लेखनीय है कि कोरोनाकाल के दौरान सभी स्कूल बंद थे। स्कूल आनलाइन क्लास लगा रहे थे। इस दौरान बच्चों को बिना परीक्षा के पास कर दिया गया था।