भोपाल । पिछले पंचायत चुनाव में आठ जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने वाली कांग्रेस पार्टी इस बार अपने अध्यक्षों की संख्या को बढाकर 25 तक करने की कोशिश कर रही है। इसके लिए उसने उन जिलों पर अधिक फोकस करने की रणनीति पर काम किया है जहां भाजपा से कम से कम तीन से चार दावेदार हैं और वहां उनसे हटकर भाजपा किसी अन्य को समर्थन कर रही है। उसके निशाने पर वह जिले होंगे जहां अलग-अलग संख्या में आरक्षित वर्गों से आने सदस्य करीब-करीब समान संख्या में हैं। पार्टी ने इस रणनीति को अंजाम तक पहुंचाने के लिए अपने खांटी नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी है। मुकेश नायक को जबलपुर और महेंद्र जोशी को इंदौर के लिए जिला पंचायत एवं नगर निकाय चुनाव की गतिविधियों के लिए प्रभारी बनाया है। ग्वालियर में डॉ. गोविंद सिंह, देवास में सज्जन वर्मा, नरसिंहपुर में एनपी प्रजापति सहित अन्य जिलों में नेताओं को सक्रिय किया गया है। इनके साथ ही पार्टी पृथक तौर पर पर्यवेक्षक भेजने की रणनीति भी बना रही है।
गौरतलब है कि प्रदेश में जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव 29 को होंगे। इसके लिए चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं। उधर, भावी जिला पंचायत अध्यक्ष सदस्यों की बाड़ाबंदी करने में जुटे हुए हैं। फिलहाल खींचतान जोरों पर है। प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए भाजपा और कांग्रेस में उठापटक शुरू हो गई है। चुनाव में भाजपा के ज्यादा सदस्य विजयी हुए हैं, इसके चलते पद पाने की होड़ है। वहीं कांग्रेस की रणनीति है कि भाजपा के थोपे हुए अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों से नाराज सदस्यों को अपने खेमें में लाया जाए। इसी संभावना पर हर बड़े नेता को अपने जिले में सक्रिय कर दिया गया है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के पास सिर्फ आठ जिला पंचायत अध्यक्ष थे। इस बार अध्यक्षों की संख्या बढ़ाकर कम से कम 25 तक ले जाने की रणनीति है। उधर, भाजपा में एक जिले से तीन-तीन सदस्य अध्यक्ष बनने की दावेदारी कर रहे हैं।
सदस्यों की बाड़ेबंदी
 जिला पंचायत भोपाल के अध्यक्ष पद को लेकर चल रही बाड़ेबंदी में अब दस में से सात सदस्य भूमिगत हो गए हैं। ये लोग किसी का फोन नहीं उठा रहे। मात्र दो सदस्य होने के बाद भी भाजपा अपना अध्यक्ष बनाने के लिए जी तोड़ कोशिश कर रही है। तीन सदस्यों के पचमढ़ी में होने की जानकारी है। ये एक होटल में ठहरे हुए हैं, वहां सिर्फ चंद लोगों की ही एंट्री है। बताया जा रहा है कि ये तीन भाजपा के लिए वोट कर सकते हैं। जो पहले कांग्रेस के पाले में थे। वहीं कांग्रेस के सात सदस्य होने के बाद भी तीन की स्थिति डांवाडोल हो गई है। सूत्र बताते हैं कि तगड़ी खरीद फरोख्त चल रही है। इसमें तीन में से दो का जाना लगभग तय माना जा रहा है। कांग्रेस के 12 सदस्य भोपाल से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से मिलने के बाद छत्तीसगढ़ चले गए हैं। छतरपुर जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भाजपा से विद्या अग्निहोत्री, मीरा मिश्रा और उमा बुंदेला के नाम आए हैं। खबर है कि इनमें अवध मिश्रा भारी पड़ रहे हैं। ऐसे में किसी एक का असंतोष सामने आ सकता है। भाजपा के लिए एक संकट यह भी है कि जिले से 7 ओबीसी और पांच अनुसूचित जाति के सदस्य हैं। इनमें भी लामबंद होने की खबर है। ऐसे में भाजपा की राह कठिन हो सकती है। निवाड़ी में भाजपा रोशनी यादव के नाम पर सहमति दे सकती है लेकिन यहां से अमित राय भारी पड़ रहे हैं। शिवपुरी जिले में भी संभावित नाम को लेकर उठा पटक चल रही है। दरअसल, सबसे ज्यादा मारामारी अनारक्षित 26 जिलों में है।
 बुंदेलखंड के चार जिलों में 124 सदस्य गायब
 बुंदेलखंड के चार जिलों में जनपद सदस्य का चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक दलों ने इनकी बाड़ाबंदी कर अपने कब्जे में ले लिया है। चुनाव परिणाम आने के कुछ देर बाद से विजयी सदस्य गायब हैं। ये घर नहीं आ रहे और मोबाइल भी बंद बंता रहे हैं। सागर, दमोह, छतरपुर और टीकमगढ़ जिले की 8 जनपद के 183 सदस्य में से 124 जनपद सदस्य जीत के बाद से नहीं दिख रहे हैं। टीकमगढ़ जिले में सबसे ज्यादा 75 में से 59 जनपद सदस्यों की बाड़ाबंदी की गई है। इसके पीछे राजनीतिक दलों का मकसद साफ है। वे अपने समर्थकों को जनपद अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव जिताना चाहते हैं। छतरपुर जनपद अध्यक्ष की दावेदार ममता चंद्रशेखर तिवारी ने फोन पर दावा किया कि उन्हें 25 में से 21 सदस्य का समर्थन हासिल है। हालांकि वे स्वयं सदस्यों सहित दस दिन से गायब हैं। सागर जिले की दो जनपदों में 17 जनपद सदस्य जीत के बाद से गायब हैं। बीना जनपद में भाजपा का दावा है कि 20 में से 15 सदस्य पार्टी के समर्थन में हैं। इन सभी के प्रमाण पत्र लेमिनेशन कराने के नाम पर नेताओं ने अपने पास रख लिए हैं। 12 सदस्यों को दूसरी जगह पर रखा गया है। केसली में जीतने के बाद से 5 जनपद सदस्य गायब हैं। दमोह जिले के जबेरा जनपद क्षेत्र के 20 में से 5 जनपद सदस्य चुनाव के बाद से अज्ञात स्थान पर हैं।