नई दिल्ली । पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गठित समिति में राज्य को प्रतिनिधित्व नहीं देने के लिए केंद्र की आलोचना की है। आप नेता और पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने आरोप लगाया कि पंजाब को जानबूझकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पैनल से बाहर किया गया है। उन्होंने इसे राज्य के लोगों का अपमान करार दिया है। भगवंत मान ने एक ट्वीट में कहा, "मैं इस बात की निंदा करता हूं कि केंद्र ने एमएसपी पर पैनल में पंजाब को प्रतिनिधित्व नहीं दिया है जैसा कि किसानों से वादा किया गया था। पंजाब के किसान पहले से ही फसल चक्र और कर्ज में फंस गए हैं। एमएसपी हमारा कानूनी अधिकार है। केंद्र को एमएसपी कमेटी में पंजाब का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना चाहिए। केंद्र सरकार ने इस तरह के एक पैनल के गठन का वादा करने के आठ महीने बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एक समिति का गठन किया है। सोमवार को जारी अधिसूचना के अनुसार समिति व्यवस्था को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाकर किसानों को एमएसपी उपलब्ध कराने के तरीकों पर गौर करेगी। यह कमेटी एमएसपी के अलावा प्राकृतिक खेती, फसल विविधीकरण और सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं को बढ़ावा देने के तरीकों पर गौर करेगी। इस पैनल में  कृषि विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ सदस्य, केंद्र सरकार के पांच सचिव के अलावा कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, सिक्किम और ओडिशा के मुख्य सचिवों को शामिल किया गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि वह पैनल का हिस्सा नहीं होगा। समिति को खारिज करते हुए मोर्चा ने आरोप लगाया है कि "तथाकथित किसान नेता" जिन्होंने कृषि कानूनों का समर्थन किया था वे इसके सदस्य हैं। एमएसपी समिति से पंजाब संस्थानों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को बाहर करने पर आपत्ति जताते हुए राघव चड्ढा ने कहा, "जानबूझकर पंजाब को बाहर कर केंद्र सरकार ने हमारे लोगों का अपमान किया है।" उन्होंने दावा किया कि राज्यों, विशेष रूप से पंजाब के गैर-प्रतिनिधित्व के माध्यम से संघवाद के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया है।