भोपाल । मालवा और निमाड़ में उज्जैन, इंदौर और महेश्वर के साथ ही पर्यटन सर्किट में शामिल ओंकारेश्वर में आदिगुरू शंकराचार्य का एकात्मधाम आकार ले रहा है। जो अद्वैत भाव के जागरण का प्रमुख केंद्र बनेगा। इस प्रकल्प अंतर्गत ओंकार पर्वत पर आचार्य शंकर के बालरूप की 108 फुट ऊंची प्रतिमा, संग्रहालय, अंतरराष्ट्रीय अद्वैत संस्थान के अलावा करीब 36 हैक्टेयर क्षेत्र में अद्वैत वन विकसित होगा।
आचार्य शंकर की ज्ञानस्थली ओंकार पर्वत को हरा-भरा बनाने की दृष्टि से एकात्मधाम में लगभग 125 हैक्टेयर में से 36 हैैक्टेयर में स्थानीय मौसम और मिट्टी के अनुरूप पौधरोपण कर 36 हैक्टेयर में अद्वैत वन तैयार होगा। इसकी योजना भारतीय उद्यान विशेषज्ञ कर रहे हैं। अद्वैत वन में पौधरोपण का कार्य रामचंद्र मिशन हैदराबाद संस्था हार्ट फूलनेस रामचंद्र मिशन ट्रस्ट को दिया गया है। संस्था प्लांटेशन का कार्य देशभर में करती है। पर्वत की समस्त खाली जमीन पर हरियाली विकसित की जाएगी। यहां पर धार्मिक महत्व और पर्यावरणहितेशी पेड़ों के अलावा औषधिय पौधे पर लगें। यह पूरा संस्थान सघन वन से घिरा हुआ दूर से दिखाई देगा। सपरिवार आने वाले पर्यटकों के लिए एकात्म धाम में पर्यावरण संरक्षण का पर्याय और मिसाल बनेगा। शंकर संग्रहालय के पृष्ठ भाग की ओर आठ से दस फीट लंबे लगभग 30 हजार पौधे रोपित किए जाएंगे। यहां वृक्षों के नीचे बैठकर प्राकृतिक वातावरण में ध्यान किया जा सकेगा। शंकराचार्य प्रकल्प अंतर्गत बनने वाली संरचनाओं के लिए भी ऐसे स्थानों का चयन किया है ,जहां कम से कम पेड़ काटने पड़ेगे। प्रकल्प अंतर्गत प्रस्तावित पौधरोपण से ओंकार पर्वत वर्तमान से तीन गुना अधिक हरा-भरा हो जाएगा।

अद्वैत वन में यह पौधे लगेंगे
ओंकार पर्वत पर भारतीय उद्यान विशेषज्ञों द्वारा करीब 32 प्रकार के पेड़-पौधा का चयन किया है। इनमें बरगद,नीम, जामुन,केवड़ा, मौलश्री ,कटहल, पलाश, शीशम, शमी, महुआ, चीकू, नींबू, करोंदा,ग्वारपाठा, पीपल, बेल, आंवला, आम,कदंब,केला, गुलमोहर, कचनार, सागौन, बांस, अमरूद, बहेडा, संतरा,गुग्गल ,गिलोय और लेमन ग्रास आदि रोपे जाएंगे। रामचंद्र मिशन ट्रस्ट हैदराबाद की हार्ट फूलनेस संस्था से प्लांटेशन का अनुबंध हुआ है। अद्वैत वन का संरक्षण और सर्वधन यहीं संस्था करेंगी। संस्था से आर्थिक प्रस्ताव और पांच साल की कार्ययोजना मांगी गई है। वरिष्ठ स्तर पर बैठकें और चर्चा चल रही है। शंकराचार्य प्रकल्प को हराभरा बनाने पर पांच करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी। डा. शैलेंद्र मिश्र ,सहायक संचालक संस्कृति

उज्जैन के बाद ओंकारेश्वर को होगा विकास
आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास के आवासीय आचार्य स्वामी वेदतत्वानंद ने ओंकारेश्वर में बनने वाले एकात्म धाम की योजना के संबंध में बताया कि उज्जैन में श्री महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद अब राज्य शासन का ध्यान निमाड़ के ओंकारेश्वर तीर्थ पर केंद्रीत है। केंद्र, राज्य सीएसआर फंड और आमजन व साधु-संतों के सहयोग से लगभग 2200 करोड़ रुपए की लागत से शंकराचार्य प्रकल्प प्रस्तावित है।

शंकर संग्रहालय-
108 फुट ऊंची प्रतिमा के निचले भू.भाग पर आचार्य शंकर की महान जीवन यात्रा पर केंद्रित संग्रहालय बनेगा। इसमें आम श्रद्धालुओं और विद्यार्थियों के लिए माया थियेटर सबसे महत्वपूर्ण आकर्षण होगा। जहां थ्रीडी होलोग्राम व अन्य आधुनिक तकनीक के माध्यम से ब्रह्म, सृष्टि,माया, जीव और जगत आदि सिद्धान्तों को कथानक के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। शंकराचार्य की प्रतिमा के ठीक निचले भाग में एक ध्यान केंद्र होगा। जहां मौन में ओंकारेश्वर की अध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव जिज्ञासुजन कर पाएंगे। इस अंदरुनी परिसर की विशाल दीर्घाओं में भारत भर की समस्त कलाओं के जरिए आचार्य शंकर का जीवन चरित्र प्रस्तुत होगा। इनमें देश भर के सर्वश्रेष्ठ चित्रकारों और कलाकारों का योगदान चित्रों और भित्ति चित्रों में दिखाई देगा। बड़ी स्क्रीन पर आचार्य शंकर के जीवन.दर्शन पर आधारित निर्माणाधीन 40 मिनट की फिल्म दर्शकों को दिखाई देगी। यहां अन्नापूर्णा संग्रहालय में लगभग 500 लोगों के भोजन की बैठक व्यवस्था भी रहेगी। वहीं अद्वैत कलाग्राम भी विकसीत किया जाएगा। जहां देश भर के लोक और क्षेत्रीय शिल्पों का प्रदर्शन तथा विक्रय होगा।

अद्वैत नौका विहार-
अद्वैत नौका विहार संग्रहालय के निम्न भूतल में स्थित होगा। नौका विहार नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से आरंभ होकर अन्त भरुच की खाड़ी में समाप्त होगा। यह नौका विहार स्वचलित नौकाओं के माध्यम से होगा। नर्मदा के दोनों तटों पर अद्वैत वेदांत परंपरा में शंकराचार्य के पूर्ववर्ती और परवर्ती विभिन्ना सन्तोंध्स्थानों को विभिन्ना माध्यमों से प्रदर्शित किया जाएगा।