परिवहन विभाग मध्यप्रदेश अवैध वसूली बनी परंपरा/ उभरता सितारा, वसूली किंग - राजेश तोमर
Updated on 3 Apr, 2025 08:10 PM IST BY RAJDHANIMEDIA.IN
धर्मवीर सिंह - 9425111280, 9425777280
ग्वालियर। हाल में परिवहन सिंडीकेट माफिया सौरभ शर्मा की दुखद-सुखद जेल यात्रा से परेशान परिवहन क्रांतिकारियों को अब राहत की सांस मिल रही होगी। क्योंकि सौरभ को जेल से जमानत मिल गयी और लगता है कि मामला भी अब पैंसेजर की गति से धीरे धीरे चलता रहेगा ऐसे संकेत मिल रहे हैं। जिसे लेकर 2 मार्च को कांग्रेस ने प्रदेश में बहुत हो हल्ला मचाया।
बहरहाल सत्ता और विपक्ष के बीच ऐसा अक्सर देखने को मिलता रहता है। अब अहमं बात तो यह है कि जिस अवैध वसूली की कालिख से मुंह पूरी तहर साफ भी नहीं हुआ अब फिर से पुतवाने की तैयारी आयुक्त के स्टेनो द्वारा किये जाने की बातें सामने आ रही हैं। कि अब उसने विभागीय सिंडीकेट में अपनी आमद दर्ज कर रखी है। इसी तारतम्य में हम आपको एक नये वसूली किंग से मिलाने जा रहे हैं जिसका नाम राजेश तोमर है जो श्योपुर आरटीओ इनफोर्समेंट चैकपाॅइंट का प्रभारी रहते हुए विभाग की अवैध वसूली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नवागत आयुक्त और अपने नये स्टेनो सेनापति के आदेश को पूर्ण करने को ही अपना धर्म समझे हुए है। यही कारण माना जा सकता है कि अवैध वसूली पंरपरा के लिए नियम-कायदों को स्टेनो और आयुक्त साहब के पास गिरबी रख दिया गया है अतः गैरकानूनी गतिविधियों से इनफोर्समेंट कार्यप्रणाली संचालित की जाती हुई दिखाई दे रही है। राजेश तोमर श्योपुर के लिये पुराना नाम होने के साथ-साथ इसका वहां अच्छा हिसाब किताब है। क्योंकि पूर्व में इसी ने समरसा और करहाल के चैकपोस्टों का संचालन किया है। इसलिये इसका वहां कि पृष्ठ भूमि से ठीकठाक परिचय बताया गया है अपने आकाओं के लिये नियम कायदों को ताक पर रखने वाला प्रभारी हैड कांस्टेबल की दंभ तो देखिये जो जनता को कानून का पाठ पढ़ाने निकला हो उसके शरीर पर कानून की वर्दी नहीं रहती। क्या परिवहन का कानून इस बात की इजाजत देता है कि आप बगैर वर्दी के अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करें। कोई कैसे जान सकता है कि आप विभागीय अधिकारी हैं या फिर कोई लुटेरे हो। जो परिवहन के नाम पर अवैध वूसली को अंजाम दे रहा है। विभाग में हो रहीं इस प्रकार की गतिविधियों को देखकर ऐसा लग रहा है। कि फिर से इस बंजर विभाग को अवैध वसूली से हराभरा करने के लिये राजेश जैसे प्रभारियों को खुली छूट दे रखी है। कि जैसा चाहो करो लेकिन वसूली पूरी करो थोड़ी राजस्व की और वांकी आकाओं की फिर चाहे इसके लिये प्रभारियों को कानून का चीरहरण ही क्यों न करना पड़े। कहानी अभी बाकी है। किन वाहनों से कितनी वूसली हो रही है कितना किसको चढ़ावा पहुंच रहा है इस पाॅइंट से। क्या आयुक्त का भी हिस्सा है या फिर स्टेना सत्यप्रकाश ही पूरा सफाया कर रहा है। अगली कहानी में.......