परिवहन विभाग मध्यप्रदेश / चैकपाॅइंट की नीलामी 25 लाख में अनूपपुर चैकपाॅइंटो की नीलामी हो सकती है?

धर्मवीर सिंह-9425111280
ग्वालियर डेस्क। आदमी कितना भी कठोर हो महिला की जिद्द के सामने वह टूटता ही है। यहां तक की महान महार्षि विश्वामित्र की तपस्या भी मेनका के सामने टूट गई। उसी से मिला जुला मामला परिवहन विभाग मध्यप्रदेश में देखने सुनने में आया। सूत्र कहते हैं कि टीएसआई मीनाक्षी गोखले जो मालथौन चैकपाॅइंट की प्रभारी थीं अप्रैल 2025 में अवैध वसूली की गंभीर शिकायतों के कारण उन्हें एवं उनकी दो खास आरक्षक रितु शुक्ला व संध्या अहिरवार को मुख्यालय अटैच कर दिया गया टीएसआई मीनाक्षी व आरक्षक रितु का अतीत अच्छा नहीं रहा इन्हें गाली मां के नाम से अनूपपुर में जाना जाता है क्योंकि वहां की जनता और पत्रकारों से मां बहन की गाली देकर बात करती थीं। अवैध वसूली एवं गालियां देने का वीडियो वायरल होने के कारण सितम्बर 2024 को इन पर मुख्यालय अटैच व निलंबन की कार्यवाही की गई। तब ऐसा कहा जा रहा था कि अब आगमी छः माह तक मैदानी क्षेत्र में इन्हें नहीं भेजा जाएगा। परन्तु दिसम्बर 2024 में मालथौन का प्रभारी बनाया गया वहां भी अवैध वसूली की धुंआधार बल्लेवाजी के कारण एक बार फिर अप्रैल 2024 को मुख्यालय अटैच करने का फरमान हुआ। लेकिन अब इस टीम को वापस अनूपपुर लूटने का परिमिट दिये जाने की आवाजें मुख्यालय से आ रही हैं। रितु/मीनाक्षी एंड कंपनी के प्रति आयुक्त की इस मेहरबानी को जातिगत समीकरण और चढ़ावे के बड़े चमत्कार से जोड़कर देखा जा रहा है।
ठेके पर टीएसआई मीनाक्षी ?
विभाग में टीएसआई अधिकारियों की अलग अलग टीम हैं। जिन टीमों की कप्तानी कहीं कटर तो कहीं आरक्षक एवं कुछ जगह वीरेश तुमराम के हाथ में रहती है। मीनाक्षी गोखले की बात करें तो इनकी टीम का कप्तान लोकेन्द्र शर्मा नाम का कटर है जो रितु शुक्ला का परम से भी परम मित्र है। ये तीन बिलकुल खास हैं जहां भी पोस्टिंग में लेते हैं साथ में जाते हैं। यहां तक की लाईन अटैच निलंबन जैसी कार्यवाही में भी बराबर की हिस्सेदारी निभाते देखे गये। टीएसआई मीनाक्षी गोखले की पोस्टिंग रितु और लोकेन्द्र अपनी जुगाड़ तुगाड़ से कराते हैं। मीनाक्षी को अपनी ठेके की राशि से मतलब होता है। ऊपर से कौन कितना कमा रहा है इस बात से उसे कोई लेना देना नहीं रहता। ये सारा जिम्मा रितु और लोकेन्द्र ही देखते हैं। बताया जा रहा है कि लोकेन्द्र और रितु ने कई अचल संपत्तियां साथ में खरीदी एक समय लोकेन्द्र ना कुछ था अब बहुत कुछ हो गया। टीएसआई गोखले से पांच-दस लाख में ठेका तय किया जाता है।
मीनाक्षी/रितु एंड कंपनी का अनूपपुर तय
मुख्यालय सू़त्रों की मानें तो अनूपपुर जिले के आरटीओ चैकपाॅइंट एवं उड़नदस्ते की कमान फिर से मीनाक्षी बनाम लोकेन्द्र रितु को देने की तैयारी लगभग तय है। वर्तमान अनूपपुर प्रभारी टीएसआई केके गोस्वामी पूरी निष्ठा से अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम हो रहे हैं। इन्हें टीएसआई बीरेश तुमराम के कहने पर बगैर शर्त ये जिम्मेदारी सौंपने के बाद भी अपेक्षानुसार चढ़वा आयुक्त के दरबार में नहीं पहुंचाने के कारण इनकी विदाई की शहनाई बज सकती है। अनूपपुर के पुराने रिकार्ड के अनुसार एक से ढेड़ करोड़ की अवैध वसूली की जाती थी। लेकिन इसे शीर्ष लेबल पर मात्र 20-25 लाख ही बताया जाता है। परन्तु अब के हालतों को देखते हुए मीनाक्षी एंड कंपनी ने आयुक्त को 25 लाख महिना देने की हूंकार भरी एवं स्टेनो साहब का बाद में तय होगा। निलंबन के बाद पुनः उसी स्थान पर नियुक्त के मद्देनजर यह सौदा ऊंचाई पर जाकर थमने की बात सामने आयी है। गोखले / रितु एंड कंपनी को इस क्षेत्र में पांच साल कार्य करने का अनुभव है। सूत्र बताते हैं कि इस क्षेत्र से होने वाली अवैध वसूली के लिये ज्यादा झंझट नहीं करना पड़ती इस कारण गोखले/रितु एंड कंपनी ने किसी भी कीमत पर अनूपपुर की पोस्टिंग का प्रण किया बात तो यहां तक कही जा रही कि आयुक्त अगर डिमांड बढ़ाते हैं तब भी ये कंपनी पीछे नहीं हटेंगी। क्योंकि बात जिद्द वाली है।
जहां निलंबन वहीं पोस्टिंग आयुक्त के गाल में तमाचा?
ऐसा माना जा सकता है कि रितु और लोकेन्द्र ने टीएसआई मीनाक्षी को गोद ले रखा तभी यह तीकड़ी साथ में एक स्थान पोस्टिंग लेते हैं। रितु एंड कंपनी अवैध वसूली में महारथी बताई जाती हैं जिस कारण ज्यादा बोली देकर अनूपपुर पोस्टिंग लेने का निर्णय लिया गया। इस तिकड़ी की पोस्टिंग वहां होती है तब स्पष्ट होगा कि विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों की इज्जत महज कागज के टुकड़ों पर आकर सिमिट चुकी है। तभी ये प्रभारी और कटर बयानबाजी करते हैं क्या कर लेंगे आयुक्त। नहीं मानेंगे तो मंत्री से करवा लेंगे मंत्री नहीं मानेंगे तो मुख्यमंत्री और यदि वे भी नहीं मानेंगे तो संगठन से करवा लेंगे। लेकिन चांदी का जूता तो चल कर ही रहेगा। शायद इन्ही कारणों से विभाग में ईमानदारी से कार्य करने वाले अधिकारियों के लिये कोई स्थान नहीं रहा?
शिकायत प्रमुख के हाथों में हथकड़ी क्यों?
शिकायतों के निपटान का जिम्मा लिये उपायुक्त किरन शर्मा के हाथों में अदृश्य हथकडि़या जान पड़ रही हैं लगता है उन्हें इतना भी पाॅवर नहीं है कि वे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी पर पारदर्शी कार्यवाही कर सकें। इनका कार्य संदेश वाहक की तर्ज पर शिकायतों को एकत्र कर बड़े साहब तक पहुंचाना मात्र लग रहा है। जांच होना न होना आयुक्त व उनके स्टेनो तय करेंगे। साहब तो नाम दरोगा बने बैठे हैं लेकिन इतना शुक्रगुजार है कि ये साहब प्रेस को फोन पर उपलब्ध हो जाते हैं। इन पर फर्ज की मजबूरी साफ झलकती दिखाई देती है।
कटर ने उपायुक्त किरन शर्मा को बताया रिश्तेदार?
रितु/मीनाक्षी एंड कंपनी का सेनापति लोकेन्द्र शर्मा जो कि एक कटर है इस कंपनी पर उसका पूर्ण अधिपत्य के कारण अंतिम निर्णय उसी का रहता है। क्योंकि पत्रकारों को गाली देने वाले मामले में जब निलंबन कार्यवाही की जाना शुरू हुई तब लोकेन्द्र के द्वारा ही तय किया गया कि आयुक्त और उपायुक्त को कार्यवाही से बचने के लिये कितना माल देना। परन्तु वीडियो ज्यादा वायरल होने व चढ़ावा समर्पित करने से आरक्षक रितु को निलंबन और टीएसआई मीनाक्षी को लाइन अटैच का आदेश हुआ। उपायुक्त किरन शर्मा को कटर लोकेन्द्र अपना नजदीकी रिश्तेदार बता रहा है। आयुक्त से सिस्टम बैठाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका की बातें मुख्यालय में हाल के दिन गूंजी जब आयुक्त साहब दो दिन के लिये ग्वालियर आये थे। बहरहाल बात पर सत्यता की छाप तभी लग सकती है जब इस तिकड़ी की पोस्टिंग अनूपपुर होती है वर्ना अधी हकीकत आधा फसाना जैसी स्थिति हो जावेगी। दूसरी बात ये है कि इन भ्रष्टों की पोस्टिंग अन्य चैकपाॅइंटों पर होती है तब भी इस बात से इंकार नहीं किया जा सकेगा कि लेनदेन नहीं हुआ। बात खुल ना जाए इसलिये पाशों को दूसरी तरह जमा दिया गया।
घंटे पर क्यों लटका दी रूटेशन नीति ?
यह सत्य है कि पूराने नियम कायदे तब तक चलयमान होते हैं जब तक की नया कोई संसोधन न हो जाये। लेकिन यहां तो रूटेशन नीति पर किसी का ध्यान नहीं है। ये कैसा सिस्टम और कैसे अधिकारी हैं जो घरमानी मनमानी की नीति से विभाग का संचालन कर रहे हैं। रूटेशन नीति गोविंद सिंह राजपूत के समय निर्धारित की गई थी उस पर किसी भी तरह का अमल नहीं किया जा रहा। लगता है आयुक्त को पुराने रास्तों पर चलना ही अच्छा लग रहा है।
बात अभी बाकी । जयहिंद