उज्जैन के वीर भारत संग्रहालय में वीर महापुरुषों की गौरव गाथाएँ होंगी संकलित, बोले डॉ. यादव

उज्जैन: भारत के कालजयी महानायकों की गौरवगाथा को बयां करने वाले "वीर भारत संग्रहालय" का शिलान्यास मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मुख्य आतिथ्य में कोठी पैलेस में किया गया। इस अवसर पर केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. अर्जुन राम मेघवाल भी कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इस अवसर पर कहा कि उज्जैन का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। हर युग में उज्जयिनी का अपना इतिहास रहा है। इस संग्रहालय में प्राचीन भारत के वीर महापुरुषों की गौरवगाथा की जानकारी दी जाएगी। संग्रहालय का निर्माण भव्य पैमाने पर किया जाएगा। प्राचीन काल की सभी प्रमुख घटनाओं की जानकारी दी जाएगी।
संग्रहालय का निर्माण करीब 20 करोड़ रुपए की लागत से किया जाएगा। इसके अलावा आवश्यकता पड़ने पर और धनराशि भी उपलब्ध कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि हमें अपनी विरासत पर गर्व करने का एक और अवसर मिलेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने संग्रहालय के निर्माण के लिए अपनी ओर से शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में सांसद उज्जैन आलोट संसदीय क्षेत्र अनिल फिरोजिया, सांसद राज्यसभा बालयोगी उमेशनाथ जी महाराज, विधायक उज्जैन-उत्तर अनिल जैन कालूहेड़ा, संजय अग्रवाल, महापौर नगर निगम मुकेश टटवाल, नगर निगम अध्यक्ष नगर निगम श्रीमती कलावती यादव एवं संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला शामिल हुए। कार्यक्रम में सर्वप्रथम पंडित चंदन व्यास एवं उनकी टीम द्वारा स्वस्ति वाचन किया गया। वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी ने पुष्पगुच्छ भेंट कर अतिथियों का स्वागत किया।
स्वागत भाषण देते हुए श्रीराम तिवारी ने कहा कि भारत के गौरवशाली एवं वीरतापूर्ण अतीत से परिचय एवं प्रेरणा हमारे समय की अपरिहार्य आवश्यकता है। यह एक राष्ट्रव्यापी, महत्वाकांक्षी स्वप्न है, जिसे साकार करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार भारत के तेज एवं शौर्य के विविध आयामों को वीर भारत संग्रहालय में व्यापक रूप से प्रस्तुत करने के लिए कृतसंकल्पित है। तेज एवं शौर्य हमारे जीवन, परम्परा, दृष्टिकोण, चिन्तन की प्रकृति, दर्शन, जीवन मूल्यों, आस्था एवं विश्वासों का स्वर है।
हमारा प्रयास है कि वीर भारत संग्रहालय में राष्ट्र के सभी शुभ दर्शन प्रतिबिंबित हों। भारत का प्रागितिहास-पुरापाषाण काल, पूर्व वैदिक, वैदिक/उपनिषद, सरस्वती सिंधु घाटी सभ्यता, उत्तर वैदिक, श्री राम के पूर्वज, श्री कृष्ण के पूर्वज, रामायण काल, महाभारत काल, प्राचीन भारत की जनजातियाँ, महाजनपद काल, गौतम बुद्ध, महावीर, आदि शंकराचार्य, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट विक्रमादित्य काल, सातवाहन, गुप्त साम्राज्य, चोल, पल्लव, भोजदेव, मध्यकाल, भक्ति काल, भारत के नायक, गुलामी के खिलाफ दहाड़ते हुए, भारत की लंबी परंपरा में तेजस्वी नायकों, विचारकों, दार्शनिकों, ऋषियों, ऋषियों, संतों, बुद्धिजीवियों, कवियों, लेखकों, कलाकारों, वैज्ञानिकों, उद्यमियों के अद्वितीय योगदान को उजागर किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वीर भारत संग्रहालय युगों के महान नायकों की महाकाव्य कथाओं का अनूठा केंद्र बनने जा रहा है बाबा महाकाल और उनकी प्रिय उज्जयिनी सृष्टि के आरंभ से ही, सनातन परंपरा से विद्यमान हैं। प्रागैतिहासिक-पुरापाषाण काल से ही भारत मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास की कर्मभूमि रही है।
वीर भारत संग्रहालय में चाहे वैदिक युग हो, उपनिषद युग हो, रामायण महाभारत युग हो, हमारे ऋषि वैज्ञानिक हों, हमारे राष्ट्र के महानायक हों या फिर वे राजा, वैज्ञानिक, साहित्यकार, इतिहासकार, खगोलशास्त्री, योद्धा, संन्यासी, उद्यमी रहे हों, ऐसे सभी प्रेरक चरित्रों को स्मरण करने का प्रयास किया जाएगा, जिन्होंने भारत को तेजस्वी भारत बनाने का काम किया है। मैंने निर्देश दिए हैं कि यह संग्रहालय, जो दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र संग्रहालय होगा, समय सीमा के भीतर पूरा हो, इसे सिंहस्थ से पहले पूरा किया जाए। विक्रमादित्य भारत में परिवर्तन और पुनर्जागरण की महत्वपूर्ण धुरी रहे हैं, और उनके द्वारा प्रवर्तित विक्रम संवत हमारी बहुत ही मूल्यवान धरोहर है। कार्यक्रम में वीर भारत संग्रहालय की रूपरेखा पर आधारित एक फिल्म भी दिखाई गई। इस दौरान अतिथियों ने कोठी महल का भी अवलोकन किया।