नगर निगम अवैध बजार वसूली कांड - भाग 2/ मैं आयुक्त के ईशारे पर करवा रहा हूं बाजार वसूली, शैलेन्द्र चौहान ?
सोनू वर्मा/सिटी चीफ
ग्वालियर । पूरा शहर मुझे मेरे नाम से जानता है। पत्रकार हो या नेता या विधायक कौन है जो मुझे नहीं पहचानता। और किसको नहीं पता शहर में क्या हो रहा है कैसे हो रहा है सभी को सब पता है। खबरें छापने से कुछ नहीं होता। मुझे सीएम से क्या करना मैं आयुक्त के ईशारे पर करवा रहा हूं बाजार वसूली। इसके लिये मुझे किसी का कोई डर नहीं है। ये वक्तव्य नगर निगम ग्वालियर के मदाखलत प्रभारी शैलेन्द्र सिंह के बताए गये हैं जिनके कंधों पर आधे शहर का भार रखा हुआ है। हमें और निमग के जिम्मेदार अधिकारियों को इस बात पर नाज करना चाहिए कि आज भी शैलेन्द्र सिंह चौहान जैसे अधिकारी हैं जो सत्य कहने से पीछे नहीं हटते। फिर चाहे उसका नतीजा कुछ भी हो।
जिले से लाखों रूपये की महावारी वसूली हाथ ठैला रेहड़ी वालों से की जाती है। जिसका आंकड़ वर्ष भर में लाखों से करोड़ तक पहुच जाता है। इस वसूली को लेकर प्रदेश के मुखिया ने कुछ माह पूर्व कहा था कि इसे तत्काल प्रभाव से बंद किया जात है और हाल की चुनावी बेला में बाजार वसूली के समस्त ठेकों को भी निरस्त किये जाने की बात सामने आ रही है। लेकिन निगम के लोग इस वसूली को बंद करने के लिये तैयार होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। हमारी टीम ने इस खबर की सत्यता की जांच की तो आज भी कई लोगों ने यह जानकारी दी, कि साहब फलां आदमी हमसे महावारी वसूली आज भी कर रहे हैं। इस गंभीर मसले पर हमारे द्वारा जब खबर प्रकाशित की गई तो जिम्मेदार ईमानदारी कर्मठ अधिकारी ने अपने श्रीमुख से इस बात को स्वीकार किया और यह भी कहा कि किसे नहीं पता शहर में क्या हो रहा है। निगम में क्या काम कैसे होते हैं। ऐसी खबरें छापने से कुछ नहीं होता है। जब वसूली आयुक्त के ईशारे पर हो रही है तो हमारा कौन क्या बिगाड़ सकता है। हमें इस बात से क्या करना कि सीएम ने क्या आदेश किये हैं हमारा आयुक्त जो कहेगा वही तो हम करेंगे। वकौल शैलेन्द्र चोहान, शहर के नेता और तमाम पत्रकारों से हमारे संबध हैं सभी हमारे बडे़ छोटे भाई नेता विधायक सभी से हमारे संबध हैं। इसलिये हम कहते हैं जो छपता है छपता रहे हमें क्या। जब हम लाखों रूपये की बाजार वसूली करके आयुक्त साहब तक पहुंचा रहे हैं तो हमें किस बात का डर जो होगा साहब का होगा। ये साहब जायेंगे तो दूसरे आयेंगे हमें तो जो हुक्म मिलेगा हमें करना पड़ेगा।
ये इस प्रकार के वक्तव्य जो मदाखलत प्रभारी ने हमारे जानकार से कहे हैं। लेकिन इन बातों की सत्यता की पुष्टी उन्हीं तीन व्यक्तियांे के द्वारा की जा सकती है जिन लोगों के बीच यह मामला चलता दिखाई दे रहा है।
वसूली करने वाली डी कंपनी?
निगम में होने वाली इस अवैध बाजार वसूली के लिये सबंधित मदाखलत प्रभारियों द्वारा कई लोगों को रखा गया है जिन्हें अलग अलग क्षेत्र की जिम्मेदारी दी गई हैं। जिनमें सुनील, गोपाल, राज, करन, प्रमुख लोगों में गिने जाते है। जो सीधे तौर पर आयुक्त और मदाखलत प्रभारी के संपर्क में रहते है। इन्होंने भी निजी तौर पर और अन्य लोगों को इस कार्य के लिये लगा रखा है। जो इस वसूली को अंजाम देते हैं।
मदाखलत प्रभारी का क्या रौल रहता है
इस वसूली में मदाखलत प्रभारी का रौल इस प्रकार रहता है कि जब भी कोई दुकानदार इस वसूली को देने से इंकार करता है तो मदाखलत का अमला अपने पूरे असले के साथ उसकी दुकान उठाने पहंुच जाता है कि वह अतिक्रमण किये हुए। दुकान उठने, उजड़ने के डर से बेचारा दुकानदार हफ्ता देने में अपनी गनीमत समझता है। जारी..........